अंतर्राष्ट्रीय

भारत के आगे पस्त हुए चीनी सैनिक! इस खास जगह ड्रैगन के टैंक ने छोड़ा साथ, जानें पूरा मामला

बीते तीन साल पहले भारतीय सेना ने पैंगाग के दक्षिण इलाके पर महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्ज कर चीन (China) को बैकफ़ुट पर डाल दिया था। चीन ने स्पांगुर गैप के इलाक़े में तैनात दर्जनों टैंकों को वापस लौटने को मजबूर कर दिया था। दरअसल, चीन ने हाई एल्टीट्यूड एरिया में भारतीय सेना से लड़ने के मकसद से अपने लाईट टैंक VT-5 @ Type -15 @ ZTQ -15 को तैनात कर दिया था और इस बात का दम दुनिया के सामने भर रहा था कि हाई एल्टीट्यूड एरिया के लिए उसके पास सबसे बेहतर हल्के टैंक मौजूद हैं। चीन अपने हथियारों की नुमाईश इस तरह से करता है मानों उससे बेहतर हथियार दुनिया में किसी के पास नहीं है।

100 किमी के ड्राइविंग टेस्‍ट में फेल

सूत्रों के मुताबिक़ जो परेशानी बांग्लादेश के सेना को आ रही है और जो जवाब चीनी कंपनी की तरफ़ से दी जा रही है वो भी बहुत दिलचस्प है। सूत्रों के मुताबिक ऑग्जेलरी पावर यूनिट और नट बोल्ट में जंग लगना शुरु हो गया है। टैंक में लगे बोल्ट को मेंटेनेंस के लिए खोल दो तो वो ठीक से लग ही नहीं रहे हैं। 100 किमी के ड्राइविंग टेस्ट से पहले ही ट्रेक पर लगे 11 फीसदी से ज़्यादा रबर ब्लॉक में क्रैक आ गया तो 9 फीसदी तो पूरी तरह से फट गए।

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चीनी टैंक में लीकेज समेत कई शिकायतें

चीनी कंपनी के मुताबिक़ टैंक को उबड़- खाबड़ और नुकीले पत्थरों वाली सतह पर चलाने की वजह से ये क्रैक आए है। अब सवाल यह है कि चीनी टैंक क्या समतल मैदान में ऑप्रेट करने के लिए बनाए गए हैं। यही नहीं कुछ टैंक के तो पूरा ट्रैक स्प्रॉकेट से निकल-निकलकर बाहर आ जा रही है। बांग्लादेश ने 2019 में चीन से 44 VT-5टैंक की ख़रीद का करार किया था। पिछले साल 2022 से टैंक की डिलिवरी शुरू हो गई थी। चीनी VT-5 टैंक का पहला ग्राहक बांग्लादेश है और 16 दिसंबर 2022 को बांग्लादेश के विक्ट्री डे परेड के दौरान ये टैंक पहली बार नज़र आए थे। चीन ने ये लाइट टैंक तिब्बत के शिंगजियान मिलेट्री कमांड और मरीन इस्तेमाल में ला रहे हैं। अगर इसके आर्मामेंट की बात करें तो 105 mm राइफ़ल्ड गन लगी है और एक बारी में ये टैंक 105 mm के 38 राउंड एमोन्यूशन को लेकर चल सकता है।

टैंक को पूरे एलएसी पर तैनात कर रखा

अगर हम चीन के लाइट टैंक की बात करें तो चीन ने अपने ZTQ -15 या कहें टाईप 15 टैंक को पूरे एलएसी पर तैनात कर रखा है। ये टैंक 33 टन वज़नी है और कम वजन के चलते से ये आसानी से हाई एल्‍टीट्यूड के इलाकों में ऊंचाई वाली जगह पर आसानी से चढ़ जाते हैं। ऐसा दावा इन टैंक को लेकर चीन की तरफ़ से किया जाता रहा है। चूँकि दुनिया में टैंक ही ऐसा हो जो कि किसी भी तरह के इलाके में ऑप्रेट कर सकते हैं लेकिन हाई ऑलटेट्यूड एरिया में इस्तेमाल के लिए बनाए गए टैंक समतल इलाक़े में भी ठीक से चल भी नहीं पा रहे हैं। इससे साफ़ हो रहा है कि चीन ने घटिया टैंक बांग्लादेश को बेच दिए।

आईएन ब्यूरो

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