पाकिस्तान में सिविल वॉर शुरू , मार्शल लॉ (Martial Law) की तैयारीः
पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला के पास बजीराबाद में इमरान खान पर हमला हुआ या करवाया या जो कुछ भी हुआ वो हुआ। लेकिन जो कुछ पाकिस्तानी शहरों में हो रहा है उसका नतीजा पाकिस्तान के सामने बहुत जल्दी सामने आ सकता है। कुछ घण्टे या अधिकतम कुछ घण्टे। जी हां, आने वाले कुछ घण्टों में एक बार फिर पाकिस्तान का भविष्य किसी खतरनाक रहा की ओर मुड़ सकता है। गृहयुद्ध की शुरुआत हो चुकी है जल्दी Martial Law लगाया जा सकता है। पीटीआई के कारकूनों ने गृहमंत्री राणा सनाउल्ल्लाह के घर पर धावा बोल दिया गया। फौज को अपनी पलकों पर रखने वाले लोग फौजी टैंको की शर्म करने बजाए उन टैकों पर चढ़ कर तोड़ फोड़ कर ने लगे। शहबाज के बाकी मंत्री और फौजी अफसरों के घर कब आग के हवाले कर दिए जाएं कुछ नहीं मालूम। इसलिए पाकिस्तान में Martial Law की आशंका बढ़ गई है।
लाहौर, इस्लामाबाद, फैसलाबाद, कराची, पेशावर, क्वेटा, गुजरांवाला, हैदराबाद, रावलपिंडी और मुलतान में आर्मी को तैनात किए जाने पर मीटिंग चल रही है। सवाल यह है कि शहरों और कस्बों में पाक भौजियों को देखकर जमातों में बंटे पाकिस्तान की पब्लिक कहीं और खूंखार न हो जाए। मतलब पाकिस्तानी पब्लिक का एक हिस्सा पाकिस्तानी फौजियों की लाशों पर पैर रख कर आगे न बढ़ जाएं। यह स्थिति हुई तो बहुत खतरनाक हो सकती है। इसलिए पाकिस्तान में देर-रात या अल सुबह 4 तारीख को पाकिस्तान में मार्शल लॉ का ऐलान किया जा सकता है।
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पाकिस्तान में मार्शल लॉ का मतलब फौजी शासन, नागरिक शासन बर्खास्त। फौज की इजाजत के बिना पाकिस्तान में पत्ता नहीं हिलेगा। ठीक वैसे ही जैसे म्यांमार में हो रहा है। फौज के खिलाफ तबका अलग हिंसक गुट बना सकता है। पाकिस्तान में पाकिस्तानी फौज पर हमले का मतलब एक और बंटवारा। पश्तून-टीटीपी-बलूच और सिंधी अपना अलग-अलग मुल्क मांग रहे हैं। पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति उन सब के लिए माकूल है। अब समझना यह होगा कि पाकिस्तान के किस गुट पर दुनिया की किस ताकत का हाथ है और कहां तक रहेगा। मसलन, चीन कौन से गुट के साथ होगा। शहबाज या इमरान के साथ। सेंट्रल एशियन देश किन्हें समर्थन देंगे। अफगानिस्तान-पश्तूनों के साथ पाकिस्तान को हड़पने में मदद करेगा या आईएसआई के गुरगे आईएसकेपी किसकी तरफ से लड़ेंगे।
अफगानिस्तान से लेकर इस्लामाबाद-रावल पिंडी तक जब सारे पाकिस्तानी आपस में एक दूसरे के खून के प्यासे हों तो गिलगिल बालटिस्तान और मीरपुर, मुजफ्फरपुर वाले गुलाम पाकिस्तान (पीओके) का क्या होगा। यहां सीमा पर तैनात फौजें भारत के एग्रेशन को न झेल पाने की हालत में क्या करेंगी। पाकिस्तानी फौज के जनरल बाजवा भारत पर एटम फोड़ अपने अंदर के घावों पर गंधक-पोटाश का मलहम लगाएंगे या सीधे उन्हीं पर छोटे एटम बम फोड़ कर उनका हमेशा के लिए खात्मा करेंगे और भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे। यह संभव है उस समय भारत की सीमा के पार एक पाकिस्तान नहीं बलूचिस्तान-सिंध और पखतूनिस्तान के पीएम या फौजी तानाशाहों की सरकारें हों। बर्बादी के बाद की शांति। 1971 के बाद पाकिस्तान के बंटबारे-बर्बादी के बाद की शांति।
पाकिस्तान में कुछ भी होता है तो उसका जिम्मेदार शहबाज का अमला नहीं बल्कि पीटीआई यानी इमरान की पार्टी वहीं पीटीआई के महासचिव असद उमर ने कहा कि इमरान खान ने अपनी हत्या के प्रयास के पीछे तीन लोगों को जिम्मेदार ठहराया है। गुरुवार के घटनाक्रम और अब पीटीआई के नए दावों ने पाकिस्तान की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
पाकिस्तानी मीडिया के हवालों से आ रही खबरों के मुताबिक कराची, फैसलाबाद, मुलतान, इस्लामाबाद, रावलपिण्डी जैसे शहरों में फवाद चौधरी ने खून का बदला खून का नारा दिया तो शहर के शहर जलने लगे।
ध्यान रहे, इमरान खान और उनकी पार्टी के लोग पाकिस्तान में हिंसा का बहाना ढूढ रहे थे, तो वहीं फौजी कयामत ने चेतावनी जारी कर दी थी कि यदि रेड लाइन तोड़ी गई तो आर्मी अपना फर्ज निभाएगी। इसका मतलब यह कि आखिर तक डेमोक्रेटिक रहने वाला जनरल आखिर में कहीं सैनिक तानाशाह न बन जाए।
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