पाकिस्तान ने 19 जून को अपने उन 300 से अधिक नागरिकों के लिए राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया है, जिनकी ग्रीस के तट पर एक भीड़भाड़ वाली लीबियाई नाव के डूबने के बाद डूबकर मौत हो गयी थी। एथेंस में पाकिस्तानी दूतावास ने उन 12 नागरिकों की पहचान की, जो नाव पर सवार सैकड़ों लोगों में डूबने से बच गये।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक प्रेस बयान के मुताबिक़, पाकिस्तान आज नाव हादसे में मारे गये लोगों के लिए अपना राष्ट्रीय ध्वज आधा झुकाएगा और विशेष प्रार्थना करेगा।
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने मानव तस्करों की तलाश के लिए एक जांच का भी आदेश दिया है, जिन्होंने प्रवासियों को मुख्य रूप से समृद्ध पंजाब प्रांत और पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) से लीबिया में अवैध रूप से यूरोप भेजने के लिए रवाना किया था। ओवरलोडेड फिशिंग ट्रॉलर में कम से कम 400 पाकिस्तानी, 200 मिस्र के लोग और 150 सीरियाई प्रवासियों के अलावा फ़िलिस्तीनी भी सवार थे,जिन्हें यूरोप में बेहतर जीवन की तलाश थी।
मानवाधिकार कार्यकर्ता, डॉ अमजद अयूब मिर्ज़ा ने कहा कि ग्रीक समुद्र तट के पास पीओके के युवाओं की बड़ी संख्या में डूबने से पाकिस्तान और पीओके में भेदभाव, ग़रीबी, विनाश और अवसरों की कमी का संकेत मिलता है।
उन्होंने कहा: “14 जून को उनके साथ-साथ उनके बेहतर भविष्य की उम्मीदें भी डूब गयीं। मैं पीओके के उन लोगों की दुर्दशा को उजागर करने की कोशिश कर रहा हूं, जो सिर्फ़ 40 लाख हैं, जिनमें से लगभग 20 लाख पहले से ही अरब देशों और यूरोप में हैं। ये लोग यह कहते हुए पीओके में अपने रिश्तेदारों और परिवारों को घर वापस लाने में मदद करना चाहते हैं” कि भारत में जम्मू और कश्मीर (जम्मू-कश्मीर) की स्थिति बहुत बेहतर है और भारतीय कश्मीरियों को ज़रूरत के पूरी होने के कारण पलायन नहीं करना पड़ता है।
डॉन अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासियों ने अवैध रूप से यूरोप जाने के लिए तस्करों को बड़ी रक़म, ,यानी 2.5 मिलियन पाकिस्तानी रुपये तक का भुगतान किया था। पिछले कुछ दिनों से लगातार मौत की ख़बरें आने के बावजूद, तस्कर अब भी अपने ग्राहकों के परिवारों को आश्वासन दे रहे हैं कि उनके युवा प्रवासी जीवित हैं।
लेकिन,परिजन एजेंटों के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने से कतरा रहे हैं।
हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस त्रासदी में शामिल होने के लिए पीओके में उन छोटे-छोटे एजेंटों को गिरफ़्तार किया है, जिन्होंने खुलासा किया है कि इस कारोबार का असली सरगना लीबिया में रहता है। जांच से पता चला है कि कई प्रवासियों को क़ानूनी रूप से संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और लीबिया में भेजा गया था, जहां से उन्हें ग्रीक या इतालवी समुद्र तट पर ले जाने के लिए जहाजों में चढ़ाया जाना था। कई पाकिस्तानी लीबिया की जेलों में बंद हैं।
गार्जियन अख़बार ने एक रिपोर्ट में ख़ुलासा किया है कि तस्करों द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें क़ैद की बुरी स्थिति में धकेल दिया जाता है, जहां उनके पास आपदा की स्थिति में बचने का बहुत कम मौक़ा होता है। उन्हें पानी देने से मना कर दिया जाता है और क़ैद में कम से कम छह लोगों की प्यास और अमानवीय परिस्थितियों से मौत हो गयी।
द गार्जियन का कहना है कि ट्रॉलर का इंजन तीन दिन के सफर के बाद फेल हो गया। अख़बार यह भी कहता है कि एक ग्रीक तट रक्षक नाव संकटग्रस्त उस ट्रॉलर के क़रीब थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इससे पीड़ित जहाज को क्या मदद मिली।
संघर्षग्रस्त देशों-सीरिया, ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से हताश और व्यथित प्रवास इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि इनमें से कई देश बिगड़ती मानवीय स्थिति के साथ अनिश्चित परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।
इस साल यह चौथी और सबसे बड़ी त्रासदी है, जिसमें पाकिस्तानी प्रवासी अपने देश की ख़राब परिस्थितियों से बचने की कोशिश में डूबकर मर गये हैं।
इस साल की शुरुआत में सात पाकिस्तानी प्रवासी फ़रवरी में लीबिया के बंदरगाह वाले शहर बेंगाजी के पास एक नाव के मलबे में डूब गए थे। इसके बाद 63 अन्य पाकिस्तानी, अफ़ग़ान और ईरानियों की मौत हो गयी थी, जब एक नाव तुर्की से इटली के बीच अपने मार्ग पर पलट गयी थी। इस त्रासदी में इस देश के शिया हज़ारों के उत्पीड़न से भाग रही एक महिला पाकिस्तानी अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी की जान चली गयी थी।
एक और त्रासदी में लीबिया के पास दो नौकायें डूब गयी थीं, जिनमें पाकिस्तान, सीरिया, ट्यूनीशिया और मिस्र के कम से कम पांच दर्जन लोग मारे गये थे।
डूबने वालों की बढ़ती संख्या और यूरोप में सफल आगमन भी पश्चिम एशिया के बड़े हिस्से और अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले मानवीय संकट का संकेत देते हैं।
इस साल की शुरुआत में बुल्गारिया में एक कंटेनर ट्रक में 18 अफ़ग़ान नागरिक मृत पाये गये थे, क्योंकि उन्होंने पश्चिमी यूरोप में तस्करी करने का व्यर्थ का प्रयास किया था।
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