प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन (MQ-1 Predator) खरीदने के समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। घातक मिसाइलों से लैस यह ड्रोन लंबे समय तक समुद्र में निगरानी कर सकता है। इस बीच भारत ने अपने स्वदेशी तपस ड्रोन की नौसैनिक क्षमता का सफल परीक्षण किया है। टेस्टिंग के दौरान तपस ड्रोन के कमांड एंड कंट्रोल को समुद्र में 148 किमी दूर गश्त लगा रहे आईएनएस सुभद्रा युद्धपोत पर ट्रांसफर किया गया।
अमेरिका का एमक्यू-1 प्रीडेटर घातक मिसाइलों के साथ लंबे समय तक समुद्र में निगरानी कर सकता है। जरूरत पड़ने पर यह ड्रोन हमला करने में भी सक्षम है। इस ड्रोन को प्रीडेटर सी एवेंजर या आरक्यू-1 के नाम से भी जाना जाता है। एमक्यू-1 प्रीडेटर में टर्बोफैन इंजन लगा हुआ है। यह ड्रोन स्टील्थ फीचर से लैस है, इस कारण दुश्मन के रडार जल्दी से पकड़ नहीं पाते हैं।
भारत को प्रीडेटर ड्रोन की जरूरत क्यों
भारत को सबसे ज्यादा खतरा चीन से है चीन के पास विंग लॉन्ग-2 ड्रोन मौजूद है, जो रेकी के साथ हमला भी कर सकता है। यही कारण है कि भारतीय नौसेना को प्रीडेटर की तत्काल जरूरत है।
MQ-1 Predator की खासियत
अमेरिका का एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन (MQ-1 Predator) 50 हजार फीट की ऊंचाई पर 35 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसके अलावा एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन 6500 पाउंड का पेलोड लेकर उड़ सकता है।
भारत के तपस ड्रोन की खासियत
भारत के तापस या तपस ड्रोन को एरियल सर्विलांस के लिए टैक्टिकल एयरबोर्न प्लेटफॉर्म-बियॉन्ड होराइजन-201 या TAPAS BH-201 के नाम से जाना जाता है। तपस ड्रोन को भारत के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (एडीई) ने अमेरिका के जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन की तर्ज पर विकसित किया है। तपस बीएच 201 ड्रोन 350 किलोग्राम के पेलोड के साथ उड़ान भर सकता है। इसकी लंबाई 9.5 मीटर और पंखों की चौड़ाई 20.6 मीटर है। तपस ड्रोन का खाली वजन 1800 किलोग्राम है। तपस ड्रोन की अधिकतम रफ्तार 224 किलोमीटर प्रति घंटा है।
यह भी पढ़ें: Indian Army को मिला खूंखार Drone! दुश्मनों का पलभर में कर देगा अंत
यह ड्रोन 1000 किलोमीटर की रेंज में निगरानी और हमला कर सकता है।एक बार उड़ान भरने के बाद तपस ड्रोन 24 घंटे तक अधिकतम 35000 फीट की ऊंचाई पर मंडरा सकता है।