बारी-बारी से मिलने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता के तहत भारत भारत को मिलने वाले इस नेतृत्व के एक दिन बाद ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने बुधवार को अपने शीर्ष मंत्रियों को बुलाया, और उनसे विकास योजनाओं के कार्यान्वयन को “अधिक गंभीरता से और तेज़ी से आगे बढ़ाने” के लिए कहा। इसमें चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का शीघ्र पूरा होना भी शामिल है।
तेहरान में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक के दौरान रायसी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वस्तुतः आयोजित एससीओ राष्ट्राध्यक्षों के 23वें शिखर सम्मेलन का बार-बार उल्लेख किया और अपने कैबिनेट मंत्रियों को मध्य एशियाई क्षेत्र को खुले पानी से जोड़ने वाले “चाबहार बंदरगाह के महत्व और स्थिति” के बारे में नेताओं के बयानों के बारे में जानकारी दी।
एससीओ शिखर सम्मेलन में अपनी टिप्पणी में पीएम मोदी ने उल्लेख किया कि मज़बूत कनेक्टिविटी किसी भी क्षेत्र की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल आपसी व्यापार को बढ़ाती है, बल्कि आपसी विश्वास को भी बढ़ावाती है। उन्होंने यह भी आगाह किया कि इस कनेक्टिविटी पहल को सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को रायसी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और मध्य एशियाई देशों सहित कई अन्य नेताओं की उपस्थिति वाली बैठक में कहा, “एससीओ में ईरान की सदस्यता के बाद हम चाबहार बंदरगाह के उपयोग को अधिकतम करने की दिशा में काम कर सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा मध्य एशिया में भूमि से घिरे देशों के लिए हिंद महासागर तक पहुंचने के लिए एक सुरक्षित और कुशल मार्ग के रूप में काम कर सकता है। हमें इसकी पूरी क्षमता का एहसास करने का प्रयास करना चाहिए।”
बुधवार सुबह कैबिनेट की बैठक में बोलते हुए रायसी ने मित्रवत, पड़ोसी और गठबंधन वाले इन देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने और सुधारने के तरीक़ों की जांच के लिए एक साधन के रूप में “अन्य देशों के साथ सहयोग के लिए संयुक्त आयोग” को और अधिक सक्रिय बनाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
(फ़ोटो: सौजन्य: ईरानी राष्ट्रपति का कार्यालय)
दिलचस्प बात यह है कि भारत के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री और ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन ने मंगलवार के एससीओ नेताओं के शिखर सम्मेलन के बाद तेहरान में एक बैठक की, जहां दोनों ने चाबहार बंदरगाह की रणनीतिक परियोजना और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के नये अवसरों पर विस्तार से चर्चा की।
इसके बाद मौजूदा बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक मुद्दों को हल करने के लिए भारत, रूस और ईरान के बीच त्रिपक्षीय वार्ता – आईएनएसटीसी के माध्यम से पारगमन सुविधा के लिए तीसरी त्रिपक्षीय बैठक हुई।
ईरानी विदेश मंत्रालय ने अमीरबदुल्लाहियन के साथ मिस्री की बैठक के बाद एक बयान में कहा,”डॉ. अमीर अब्दुल्लाहियन ने चाबहार बंदरगाह और उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर परियोजना को आगे बढ़ाने में सहयोग का एक नया अध्याय देखने की उम्मीद जतायी।”
(फ़ोटो: सौजन्य: ईरान में भारतीय दूतावास)
एससीओ में अब भारत, चीन, रूस, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, ईरान और पाकिस्तान शामिल हैं, जो यूरेशिया के अधिकांश हिस्से को कवर करते हैं।
भारत ईरान में नई दिल्ली समर्थित चाबहार बंदरगाह के उपयोग और बाहरी दुनिया के साथ भूमि से घिरे मध्य एशियाई क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार के लिए आईएनएसटीसी ढांचे में इसे शामिल करने पर बड़े पैमाने पर ज़ोर दे रहा है।
बड़े पैमाने पर 7,200 किमी लंबा उत्तर-दक्षिण मल्टीमॉडल व्यापार गलियारा, जो पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशिया और रूस के नोड्स के साथ मुंबई से शुरू होगा, अंततः सुदूर पश्चिम रूसी शहर सेंट पीटर्सबर्ग को ईरान और भारत के बंदरगाहों से जोड़ेगा।
भारत ने पिछले सितंबर में समरकंद शिखर सम्मेलन में अपनी बारी में आयी एससीओ की अध्यक्षता ग्रहण की और अब तक एक पर्यवेक्षक देश रहा इरान को इसकी परिणति से पहले समूह की पूर्ण सदस्यता मिल गयी, जबकि संगठन में बेलारूस के प्रवेश की प्रक्रिया भी तेज़ हो गयी है।
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