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Nepal को निगलने पर लगा है ड्रैगन! चीन-अमेरिका की लड़ाई में देउबा सरकार पर संकट, केपी ओली के शरण में पहुंचे प्रधानमंत्री

चीन-अमेरिका की लड़ाई में देउबा सरकार पर संकट

नेपाल में सियासत एक बार फिर से गरमाता नजर आ रहा है और इस बार कारण बना है अमेरिका बनाम चीन। इन दोनों के चक्कर में नेपाल बुरी तरह से फंसता जा रहा है। अमेरिका के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन को लागू करने का विरोध कर रहे नेपाल में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल सीपीएन माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने MCC को लागू किया तो सरकार से अलग हो जाएंगे। जिसके बाद देउबा पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की शरम में जा पहुंचे हैं। अमेरिका के MCC का नेपाल में चीन समर्थक गुट विरोध कर रहा है।

प्रचंड की चेतावनी के बाद देउबा सरकार ने एमसीसी को संसद में पेश करने के फैसले को टाल दिया है। काठमांडू पोस्‍ट के मुताबिक सत्‍तारूढ़ गठबंधन में समझौते की संभावना को खत्‍म होता देख पीएम देउबा ने सीपीएन यूएमएल के नेता केपी शर्मा ओली से मुलाकात की है। इससे पहले सत्‍तारूढ़ गठबंधन की बैठक प्रधानमंत्री निवास पर बैठक हुई थी लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका। कहा जा रहा है कि देउबा अब विकल्पों की तलाश कर हे हैं क्योंकि वह एमसीसी समझौते को संसद में पेश करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। लेकिन प्रचंड़ का धड़ा अमेरिका से सहायता नहीं लेने के फैसले पर अड़ा हुआ है।

प्रचंड ने इससे पहले देउबा से मांग की थी कि एमसीसी को लेकर और ज्यादा बैठक की जाए। ऐसे में अब प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अंरराष्ट्रीय राजनीति के साथ-साथ पार्टी के भी मंत्रियों के चक्कर में फंसते जा रहे हैं। इससे पहले नेपाली कांग्रेस ने दो नेताओँ ने ओली से मुलाकत की थी और उनसे सत्ता में बंटवारे के बारे में बात की थी। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, नेपल में अमेरिका के राजदूत रैंडी बेरी ने भी गुरुवार को ओली से मुलाकात की थी। नेपाली कांग्रेस के नेता रिजाज ने इसपर कहा है कि, अब हमने यह महसूस कर लिया है कि गठबंधन के अंदर इस संकट का समाधान नहीं किया जा सकता है, इसलिए हमने ओली से संपर्क किया है।

बता दें कि, अमेरिका ने 28 फरवरी तक एमसीसी को मंजूरी देने के लिए नेपाल को कहा है। अमेरिका एमसीसी के तहत 50 करोड़ डॉलर की मदद के जरिए नेपाल में सड़कों की गुणवत्ता को सुधारा जाना है। इसके साथ ही बिजली की उपलब्धता को बढ़ाना और नेपाल तथा भारत के बीच बिजली का व्यापार कियाजाना है। लेकिन प्रचंड के दबाव के चलते अब देउबा की ही सरकार टूटती नजर आ रही है। अमेरिका ने धमकी देते हुए कहा था कि, यदि नेपाल 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता स्वीकर नहीं करता है तो वह उसके साथ अपने संबंधों की समीक्षा करेगा और ऐसा मानेगा कि यह समझौता चीन के चलते नहीं हो सका।