अंतर्राष्ट्रीय

भारत के सहारे सत्ता में वापसी करना चाह रहे KP Sharma Oli, फिर उगला जहर

China Supporter KP Sharma Oli: भारत का पड़ोसी मुल्क नेपाल (India and Nepal) के साथ में धनिष्ट रिश्ता है। जब भी नेपाल पर बड़ी संकट आई है तब-तब भारत बड़े भाई की तरह हमेसा उसके साथ खड़ा रहा है। प्राकृतिक आपदा में सहायता से लेकर देश के विकास तक में भारत का अहम योगदान रहा है। लेकिन, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को ये सब नजर नहीं आता। चीन समर्थन केपी ओली (China Supporter KP Sharma Oli) जब भी मुंह खोलते हैं तो भारत के खिलाफ ही बोलते हैं। उन्हें ये देखना चाहिए कि नेपाल के साथ में कौन खड़ा है और कौन नहीं। अरे भारत की सेना में तो एक पूरा रेजिमेंट ही गोरखा है। जिसमें सिर्फ नेपाली सैनिक भर्ती हैं। भारत के साथ इतनी घनिष्टता होने के बाद भी आखिर ओली कैसे विरोधी हो सकते हैं? दरअसल, ओली के दिल में चीन (China Supporter KP Sharma Oli) पूरी तरह से घुसपैठ कर चुका है। ये ओली ही हैं जिन्होंने 2020 में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपाधुरिया को नेपाल का हिस्सा बताया था। इसपर उन्हें भारत के कड़े विरोध का भी सामना करना पड़ा था। अब सत्ता में वापसी के लिए छटपटा रहे कोपी शर्मा ओली को जब कोई मुद्दा नहीं मिला तो उन्होंने एक बार फिर से कालापानी, लिपुलेख और लिंपाधुरिया को लेकर राजनीति करनी शुरू कर दी है। लेकिन, इसबार भारत ने नहीं बल्कि, उनके देश के ही एक बड़े नेता ने सबक सिखाई है। ये नेता कोई और नहीं बल्कि, पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई हैं जिन्होंने ओली पर तीखा हमला बोला और बिना नाम लिए कहा कि किसी को भी देश की क्षेत्रीय एकजुटता को चुनावी अजेंडा नहीं बनाना चाहिए।

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चुनाव जितने के लिए ओली को कुछ ओर नहीं मिला तो भारत को ही बना लिया अपना मुद्दा
दरअसल, नेपाल में 20 नवंबर को आम चुनाव के प्रचार में भारत के साथ सीमा विवाद का मुद्दा गरमाने लगा है। चीन के इशारे पर नाचने वाले केपी शर्मा ओली के भारत विरोधी बयान के बाद अब सत्‍तारूढ़ गठबंधन के नेता पुष्‍प कमल दहल ने जोरदार पलटवार किया है। प्रचंड ने उत्‍तराखंड से सटे नेपाल के धारचूला में कहा कि केवल नेपाल का नक्‍शा बदलने मात्र से हमें यह आधार नहीं मिल जाता है कि हम अपनी खोई हुई जमीन को भारत से फिर से हासिल कर लेंगे। इससे पहली ओली ने दावा किया था कि अगर वह सत्‍ता में आते हैं तो भारत से जमीन वापस लेंगे। प्रचंड ने कहा कि कथित नेपाली जमीन को हासिल करने के लिए भारत के साथ राजनयिक प्रयास करने होंगे। नेपाली नेता प्रचंड ने कहा कि पिछले चुनाव में उन्‍होंने ओली का समर्थन किया था लेकिन इस बार उनके फिर से चुने जाने की संभावना नहीं है। इससे पहले केपी ओली ने नेपाल के मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए धारचूला के पास भारत विरोधी बयान दिया था। ओली ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करते हुए कहा था कि हम अपनी जमीन को भारत से वापस लेंगे। इसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपाधुरिया शामिल है।

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बाबूराम भट्टाराई ने ओली को दिखाया आईना
भारत ने नेपाल के कालापानी, लिपुलेख और लिंपाधुरिया के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। ओली ने यह भी कहा था कि वह नेपाल की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्‍होंने कहा, हम अपनी एक इंच जमीन को भी नहीं छोड़ेंगे। ओली के इस दावे पर नेपाल के प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा ने कहा है कि नेपाल की कब्‍जा की गई जमीन को हम राजनयिक प्रयासों और आपसी संबंधों के आधार पर वापस लेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने भी ओली पर तीखा हमला बोला और बिना नाम लिए कहा कि किसी को भी देश की क्षेत्रीय एकजुटता को चुनावी अजेंडा नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, फासीवाद से प्रभावित लोग ही राष्‍ट्रवाद को चुनावी अजेंडा बना सकते हैं। उन्‍होंने राष्‍ट्रीय एकजुटता को चुनावी अजेंडा नहीं बनाने की ओली को सलाह दी।

आईएन ब्यूरो

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