Prachanda Nepal Politics: नेपाल की सत्ता में बड़ा हेरफेर देखने को मिल रहा है। ये बड़ा उलटफेर नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड (Prachanda Nepal Politics) के विश्वासमत हासिल करने के दिन ही हो हया है। प्रचंड को केपी ओली का समर्थन मिला था। लेकिन, असल में इसके पीछे कहानी ये थी कि, चीन के मोहरे केपी शर्मा ओली प्रचंड को अविश्वास प्रस्ताव में धोखा देकर खुद की सरकार बनाकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठना चाहते थे। लेकिन, नेपाली कांग्रेस ने ऐसी चाल चली की चीन को दिल में समाने वाले ओली के सारे सपने और इरादे खाक में मिल गये हैं। नेपाल की संसद (Prachanda Nepal Politics) में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने अप ऐलान किया है कि, वह बहुमत साबित करने के दौरान प्रचंड का समर्थन करेगी। केपी शर्मा ओली छोटे-छोटे दलों को एक साथ मिलाकर अपनी पार्टी को संसद में सबसे बड़ी पार्टी बनाकर प्रचंड (Prachanda Nepal Politics) की सरकार को गिराकर खुद सत्ता में बैठना चाहते थे। लेकिन, उनके इरादे की भनक प्रचंड को पहले ही लग गई और नेपाली कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रोक से सारी केपली ओली की सत्ता के लिए धधकती ज्वाला खाक में मिल गई है।
नेपाली कांग्रेस ने ओली के इरादे को मिलाया खाक में
दरअशल, नेपाली कांग्रेस पार्टी की सेंट्रल वर्क कमिटी ने मंगलवार को हुई बैठक में फैसला किया है कि वह प्रचंड के समर्थन में वोट करेगी लेकिन सरकार में शामिल नहीं होगी। पार्टी के संयुक्त महासचिव महेंद्र यादव ने इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हमने संविधान को बचाने के लिए प्रचंड सरकार के समर्थन में वोट देने का फैसला किया है। प्रचंड को समर्थन देने के फैसले पर पार्टी के अंदर काफी मतभेद हैं। इससे पहले सोमवार को प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से मुलाकात करके उनसे अपनी सरकार के लिए समर्थन मांगा था। फिलहाल नेपाली कांग्रेस 88 संसदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है।
चीनी समर्थक ओली की सारी चालें फेल
अगर नेपाली कांग्रेस और केपी ओली की पार्टी दोनों ही समर्थन करती हैं तो प्रचंड को 269 सांसदों का समर्थन मिलेगा। सीपीएन-माओवादी सेंटर के 68 वर्षीय नेता ने 26 दिसंबर को तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि, उन्होंने नाटकीय रूप से नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले चुनाव पूर्व गठबंधन को छोड़कर विपक्ष के नेता केपी शर्मा ओली से हाथ मिला लिया था। लेकिन, अब नेपाली कांग्रेस ही उनके साथ आयेगी है जबकी केपी ओली तो घात लगाए बैठे थे। वैसे भी प्रचंड की सरकार को ओली का साथ मिला था, जिसके तेवर चीन तक पहुंच चुके थे। सरकार बनने से पहले ही नेपाल को लेकर चीन खूब दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दिया था। बीआरआई से लेकर नेपाल में कई प्रोजेक्ट को लेकर चीन सपने सजाने लगा था। अब उसके इरादे ओली के साथ ही खाक में मिल जाएंगे।
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