Crowd Beating China Police: चीन में इस वक्त हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। जिस तरह कोरोना ने एक बार फिर से कोहराम (Covid-19 in China) मचाया है उसका अंदाजा किसी को नहीं था। जैसे ही शी जिनपिंग सरकार ने महामारी की शुरुआत से ही लागू की गई कठोर पाबंदियों को खत्म किया वैसे ही संक्रमण के मामलों में भारी उछाल आ गया। भारी उछाल क्या सुनामी कह सकते हैं। हाल यह है कि, चीन में हर दिन करोड़ से भी ज्यादा केस सामने आ रहे हैं औऱ रिकॉर्ड तोड़ लोगों की मौत हो रहे है। ऐसे में शी जिनपिंग ने अपनी सीमाएं सभी लोगों के लिए खोल दी है। पूरे देश में भी लोग एक जगह से दूसरी जगह आसानी से जा सकता है। इसके साथ ही महामारी के दौरान जबरन कैद कियेगये लोगों की भी रिहाई के आदेश दे दिये गये हैं। चीन सरकार के इन फैसलों को देखकर कर ऐसा लगता है कि, वो चाहती है कि जो चीन में तबाही मची है वो पूरी दुनिया में भी मच जाए। खैर कोरोना महामारी के बीच चीन की पुलिस और जनता के बीच जबरदस्त भिड़ंत देखने को मिल रहा है। एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें चीन के चोंगकिंग में पुलिस और प्रदर्शनकारियों (Crowd Beating China Police) के बीच जमकर लात-घूंसे चल रहे हैं। गुस्साई भीड़ रात के वक्त सड़क पर पुलिसकर्मियों की पिटाई करती नजर आ रही है। भीड़ से बचने के लिए पुलिसकर्मी पीछे हटते हुए ढाल की आड़ लेते दिखाई दिए। इस घटना में कई श्रमिकों, पुलिसकर्मियों और दूसरे (Crowd Beating China Police) लोगों को गंभीर चोट भी लगी है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
एक साथ निकाल दिया 10 हजार श्रमिकों को
दरअसल, चोंगकिंग दादुकौ झोंगयुआन हुइजी फार्मास्युटिकल फैक्ट्री ने कर्मचारियों के साथ बातचीत किए बिना 10,000 से अधिक श्रमिकों को काम से निकाल दिया। फैक्ट्री ने श्रमिकों को बकाया वेतन का भुगतान भी नहीं किया। इस कारण इस फैक्ट्री के करीब 20000 श्रमिक विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतर आए। उन्होंने पहले तो फैक्ट्री के अंदर विरोध प्रदर्शन और तोड़फोड़ की। उनका गुस्सा जब इससे भी शांत नहीं हुआ तो इसके जिम्मेदार व्यक्तियों यानी कि कंपनी के अधिकारियों की जमकर पिटाई की। इसके बाद फैक्ट्री ने पुलिस को बुला लिया, जिससे श्रमिकों की इनसे भी भिड़ंत हो गई। ये घटना 7 जनवरी की बताई जा रही है।
दवाइयों की मांग पूरी करने के लिए दिन-रात एक कर दिया था
जिन श्रमिकों को फैक्ट्री से निकाला गया है वो कोरोना महामारी के चरम पर होने के दौरान भी दिन रात दवाइयां बनाते रहे। इनके ही भागीदारी से चीनी सरकार पूरे देश में दवाइयों के अकाल को खत्म कर पाई। लेकिन, जब कोरोना प्रतिबंध खत्म हुए और दवाइयों की मांग कम हुई तो फैक्ट्री ने इन श्रमिकों को बिना बताये ही काम से निकाल दिया। चीन के श्रम कानूनों के अनुसार, ये श्रमिक चाहकर भी कोई कानूनी कदम नहीं उठा सकते हैं। ऐसे में उन्होंने सड़क पर उतरकर फैक्ट्री के विरोध में प्रदर्शन करने का फैसला किया। चीन की शी जिनपिंग सरकार वैसे भी जनता पर कम ध्यान देती है। जनता को वो एक तरह से कैद कर के रखी हुई है। न उन्हें बोलने की आजादी है और न ही सरकार के खिलाफ जाने की आजादी है।
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