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Russia-Ukraine जंग के बाद अब इस देश किसी भी वक्त बोल सकता है हमला, दागी सबड़े बड़ी बैलिस्टिक मिसाइल

Russia-Ukraine जंग के बाद अब इस देश किसी भी वक्त बोल सकता है हमला

दुनिया के कई देशों में के हालात इस वक्त ठीक नहीं हैं। अभी तो रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है और इसमें दोनों देशों को भारी नुकसान हुआ है। जहां रूस को पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंध का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं, यूक्रेन में इस वक्त रूसी मिसाइलें और सैनिक भारी तबाही मचा रहे हैं। पश्चिमी देश लगातार पुतिन को काबू करने में लगे हुए हैं लेकिन, उनके बस का फिलहाल कुछ नहीं है। इधर चीन भी ताइवान पर कब्जा करने के लिए तेजी से रणनीति बना रहा है। कहा जा रहा है कि चीन भी जल्द हमला बोल सकता है। अब इन सब एक बीच उत्तर कोरिया एक अलग ही जंग शुरू करते नजर आ रहा है।

उत्तर कोरिया इस वक्त एक के बाद एक बैलिस्टिक मिसाइलें टेस्ट कर दुनिया को चौका रहा है। अब एक बार फिर से किम जोंग उन ने अपनी सबसे बड़ी अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) के परीक्षण की पुष्टि की है। माना जा रहा है कि, अमेरिका के साथ लंबे समय से टकराव के मद्देनजर तैयारी करते हुए उत्तर कोरिया अपनी परमाणु क्षमता का विस्तार कर रहा है। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया की ओर से शुक्रवार को एक खबर में इस प्रक्षेपण की पुष्टि की गई है।

इससे एक दिन पहले, दक्षिण कोरिया और जापान ने कहा था कि 2017 के बाद से अपने पहले लंबी दूरी के परीक्षण में उत्तर कोरिया ने राजधानी प्योंगयांग के पास एक हवाई अड्डे से एक आईसीबीएम का प्रक्षेपण किया है। उत्तर कोरिया की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने बताया कि ह्वासोंग-17 (आईसीबीएम) 6,248 किलोमीटर (3,880 मील) की अधिकतम ऊंचाई पर पहुंची और उत्तर कोरिया और जापान के बीच समुद्र में गिरने से पहले उसने 67 मिनट में 1,090 किलोमीटर (680 मील) का सफर तय किया।

इसके साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि, परीक्षण ने वांछित तकनीकी उद्देश्यों को पूरा किया और यह साबित करता है कि आईसीबीएम प्रणाली को युद्ध की स्थिति में तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है। दक्षिण कोरियाई और जापानी सेनाओं ने भी ऐसे ही प्रक्षेपण विवरण दिए थे। उसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि मिसाइल 15,000 किलोमीटर (9,320 मील) तक के लक्ष्य को निशाना बना सकती है, अगर उसे एक टन से कम वजन वाले ‘वारहेड’ (मुखास्त्र) के साथ सामान्य प्रक्षेप-पथ पर दागा जाए।

वहीं, विशेषज्ञों की माने तो, उत्तर कोरिया अपना शस्त्रागार को आधुनिक बनाने में तेजी से काम कर रहा है और ठप पड़ी परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता के बीच अमेरिका पर रियायतें देने के लिए इसके जरिए दबाव डालना चाहता है। उत्तर कोरिया, 2017 में तीन आईसीबीएम उड़ान परीक्षणों के साथ अमेरिका की सरजमीं तक पहुंचने की क्षमता का प्रदर्शन कर चुका है।