उत्तर कोरिया (North Korea) के तानाशाह किम जोंग हथियारबंद ट्रेन में बैठकर करीब दो दिनों की यात्रा के बाद अब रूस के व्लादिवोस्तोक शहर पहुंच गए हैं। उत्तर कोरिया नेता और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच साल 2019 के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। पुतिन और किम जोंग उन की इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। वहीं कई विश्लेषक पुतिन और किम जोंग की इस जुगलबंदी से सहमे हुए हैं। माना जा रहा है कि उत्तर कोरियाई नेता की इस यात्रा के दौरान यूक्रेन युद्ध में फंसा रूस हथियार खरीदने की बड़ी डील कर सकता है। वहीं दूसरी ओर उत्तर कोरिया को यह उम्मीद है कि रूस संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बीच उनकी बड़ी मदद कर सकता है। पुतिन ने उत्तर कोरिया से वादा किया है कि वह चीन और अमेरिका के साथ मिलकर परमाणु बातचीत को लेकर जारी गतिरोध को तोड़ने की पूरी कोशिश करेंगे। खबरों के मुताबिक किम जोंग उन की इस यात्रा के दौरान हथियारों की बड़ी डील पर पूरा फोकस रहेगा।
किम जोंग उन रूस से क्या चाहते हैं?
दक्षिण कोरियाई विशेषज्ञ ने कहा, ‘पुतिन (Putin) को हथियार मिलेगा और उत्तर कोरिया को अपनी परमाणु तकनीकी क्षमता को बेहतर बनाने के लिए तकनीक मिलेगी।’ किम जोंग उन के साथ उत्तर कोरिया के परमाणु-सक्षम हथियारों और युद्ध सामग्री कारखानों की जिम्मेदारी संभालने वाले शीर्ष सैन्य अधिकारी भी किम के साथ रूस पहुंचे हैं। इस यात्रा से यूक्रेन में जारी युद्ध के मद्देनजर रूस के संभावित हथियार सौदे को लेकर पश्चिमी देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं। उत्तर कोरिया की आधिकारिक समाचार एजेंसी ने बताया कि किम देश की राजधानी प्योंगयांग से रविवार को अपनी निजी ट्रेन में सवार हुए और उनके साथ सत्तारूढ़ दल, सरकार और सेना के सदस्य थे।
किम की ट्रेन सीमा पार कर खासन शहर पहुंची
रूस गए किम के प्रतिनिधिमंडल में उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री चो सन हुई और ‘कोरियन पीपुल्स आर्मी’ मार्शल री प्योंग चोल और पाक जोंग चोन समेत उनके शीर्ष सैन्य अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है। जापानी प्रसारणकर्ता ‘टीबीएस’ ने अज्ञात रूसी क्षेत्रीय अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि किम की ट्रेन सीमा पार कर सीमावर्ती शहर खासन पहुंची। रूस सरकार की वेबसाइट पर सोमवार को एक संक्षिप्त बयान में बताया गया था कि किम पुतिन के निमंत्रण पर आगामी दिनों में रूस की यात्रा करेंगे।
उत्तर कोरिया के पास रूसी हथियारों का जखीरा
ऐसा होने पर अमेरिका और उसके साझेदारों पर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए अधिक दबाव पड़ सकता है क्योंकि पिछले 17 महीनों में यूक्रेन को उन्नत हथियारों की भारी भरकम खेप भेजने के बावजूद लंबे संघर्ष के खत्म होने के संकेत नहीं मिले हैं। विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर कोरिया के पास संभवतः सोवियत डिज़ाइन पर आधारित लाखों तोप के गोले और रॉकेट हैं, जिससे रूसी सेना को मदद मिलने की संभावना है।
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