गुरुवार को बलूचिस्तान के राजनीतिक पार्टी के नेता की (गायब) होने से पूरे प्रदेश में हलचल मची हुई है। बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) के खुजदार शहर के स्थानीय नेता मोहम्मद जान गुगनरी के लापता होने की खबर पर लोग सड़कों पर उतर आए हैं। बीएनपी का आरोप है गुगनरी को बलूचिस्तान के 'डेथ स्क्वॉड' ने अगुवा कर लिया गया है। डेथ स्कवाड आतंकवादियों का एक गिरोह है जो पाकिस्तानी आर्मी के लिए काम करती है। लोगों के गायब होने का यह पहला मामला नहीं है। 28 नवबंर को बलूचिस्तान के मशहूर साहित्यकार डॉ. लियाकत अली सानी सहित बलूचिस्तान विश्वविद्यालय के तीन प्रोफेसर का अपहरण उस वक्त कर लिया जब वो विश्वविद्यालय में चल रही परीक्षा की ड्यूटी के लिए जा रहे थे। इसके पहले विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों पर हमले होते रहे हैं और उनमें से कुछ की हत्या भी कर दी गई थी। यह सारे ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूचिस्तान में किए जार जुल्म के खिलाफ आवाजें उठाते रहे हैं। नवबंर 2019 में बलूचिस्तान के मानवाधिकार हनन और लापता लोगों के लिए लड़ाई लड़ रहे ईदरीस खटक को दिन दहाड़े उनके घर से (डेथ स्कावाड) के आंतंकवादियों नें उठा लिया था। कुछ दिन पहले पाकिस्तानी आर्मी ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव के दबाव में कबूल किया कि ईदरीस उनके कब्जे में है लेकिन उसे अभी तक छोड़ा नहीं गया।
<h4>बलूचियों से किए वादे से मुकरे इमरान खान</h4>
ऐसे लापता या गुमशुदा लोगों के लिए आंदोलन छेड़ने वाली अमीना मंसूद जंजुआ के पति 2005 से लापता हैं । अमीना का कहना है कि प्रधानमंत्री बनने के पहले इमरान खान ने उनसे वायदा किया था "इमरान खान ने मुझसे कहा था कि अगर वह प्रधानमंत्री बने तो एक भी व्यक्ति लापता नहीं होगा, लेकिन सत्ता में आने के बाद, खान ने मेरे लिखे गए किसी भी पत्र का कभी जवाब नहीं दिया।"
<h4>6000 से ज्यादा बलूच हैं लापता</h4>
मानवाधिकार संगठन, वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स (VBMP) के अनुसार 6,000 से अधिक लोग अब तक बलूचिस्तान से गायब हैं। उनका कोई ता पता नहीं..कहां गए ? 2009 के बाद से, पाकिस्तानी आर्मी और उसके डेथ स्कावाड द्वारा अपहरण किए गए 1,400 लोगों की लाशें मिली हैं उनके शरीर गोलियों से छलनी थे। इस संगठन के मुताबिक इस साल अगस्त तक 200 से ज्यादा लोगों को किडनैप किया गया और इनमें सिर्फ 80 लोगों को छोड़ा गया है। बलूचिस्तान के सांसद अब्दुल राउफ मेंगल की पार्टी ने इस शर्त के साथ इमरान खान की सरकार मे शामिल हुए थे वो बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचार को खत्म करेंगे लेकिन दो साल बाद मेंगल ने निराश होकर सरकार से इस्तीफा दे दिया। ( इमरान खान ने कुछ भी नहीं किया और इस हालत में मैं सरकार के साथ नहीं रह सकता) मेंगल का कहना है बलूचिस्तान लोगों को खुद ही अपनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। बलूच छात्र संगठन पिछले 53 सालों से बलूच और बलूचिस्तान के अधिकारों के लिए लड़ रहा है और उसके लोग हमेशा आर्मी और उसके गुर्गे के निशाने पर रहते हैं।
<h4>खैबर पखतूनख्वा और सिंध का भी यही हाल</h4>
यही सूरते हाल पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और सिंध प्रांत का है। पख्तूनख्वा के सांसद अली वजीर सहित पश्तून तहफूज मूवमेंट (PTM) के कई नेताओं को देशद्रोह के आरोप में बुधवार गिरफ्तार कर रस्सियों से बांध कर पेशावर की सड़कों पर घुमाया गया। तब से पूरे पाकिस्तान में पीटीएम के कार्यकर्ता अली वजीर और उनकी रिहाई के लिए प्रर्दशन कर रहे हैं। पश्‍तून तहफ्फुज मूवमेंट (पीटीएम) के संस्थापक और मानवाधिकार कार्यकर्ता मंजूर पश्तीन के मुताबिक, (अली जाफर तो सांसद हैं इसीलिए उन्हें चुपचाप उठाना पाकिस्तानी आर्मी के लिए मुमकिन नहीं था लेकिन आम लोगों का किडनैप होना सामान्य बात है यहां।) मंजूर और उनका संगठन पश्‍तून तहफ्फुज मूवमेंट कबाइली इलाकों में पाकिस्तानी सेना की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाता रहा है। उसकी मांग है कि आतंकवाद से कथित लड़ाई के नाम पर पश्तून समुदाय के लोगों की किडनैपिंग, हत्या, और गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किए जाने पर रोक लगाई जाए । मंजूर खुद भी कई बार गिरफ्तार हो चुके हैं। मंजूर ने एक विदेशी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि इस प्रांत में पिछले 10 सालों में करीब 8,000 लोगों का अपहरण कर लिया गया है और केवल 1,500 को रिहा किया गया है । सांसद अली वजीर की गिरफ्तारी भी इसी वजह से हुई है क्योंकि लापता लोगों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। "जब भी कोई लापता लोगों का मुद्दा उठाता है – वकील, कार्यकर्ता, पत्रकार और नेता – सभी को धमकी दी जाती है, किडनैप कर लिया जाता है और यहां तक कि मार भी दिया जाता है, इससे ज्यादा क्रूर और क्या हो सकता है?"
<h4>इस साल 250 सिंधियों को पाक आर्मी ने किया अगवा</h4>
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी यही स्थिति है। वॉयस फॉर मिसिंग पर्सन्स ऑफ सिंध संगठन के मुताबिक सिर्फ इसी साल अब तक 250 लोग गायब हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर उन संगठनों से जुड़े लोग हैं जो या तो अलग सिंध देश बना का मांग कर रहे हैं या फिर चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं। शनिवार को सीपीइसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों और पाकिस्तानी रेंजरों पर हुए हमले की जिम्मेदारी सिंधुदेश रिवॉल्युशन आर्मी ने ली है जो पाकिस्तान से अलग सिंधु देश की मांग कर रहे हैं। इस संगठन के मुताबिक पाकिस्तान के तीन राज्य सिंध, बलूचिस्तान और पख्तूनख्वा सबसे पिछड़े राज्य हैं और पाकिस्तानी हुकुमत यहां की प्राकृतिक संपदा के साथ साथ लोगों का भी दोहन कर रही है।
<h4>पाकिस्तान में मानवाधिकार हनन मामूली बात</h4>
जानकारों के मुताबिक पाकिस्तानी हूकूमत और आर्मी मिल कर बलोच, पश्तुन, सिंधी, अहमदिया, शिया और दूसरे माइनॉरिटी के खिलाफ हैं, उन पर भरोसा ही नहीं करते हैं। सोशल मीडिया पर यह मुद्दे उठाने वालों को भी नहीं बख्शा जा रहा है। पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार ने Commission of Inquiry into Enforced Disappearances (COIED) का गठन किया लेकिन ज्यादातर लोग पाकिस्तानी आर्मी के डर से कमीशन के सामने शिकायत दर्ज करने पहुचे ही नहीं। सबको पता है हकीकत, कि किसी भी कमीशन की हिम्मत नहीं है आर्मी के खिलाफ कुछ करने की। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के वकील और पाकिस्तान मानवअधिकार से जुड़े अनीस गिलानी का कहना है , (अगर कोई ससपेक्ट है तो गिरफ्तारी हो, और कानून के मुताबिक उसे कोर्ट में पेश भी करना चाहिए और यह काम पुलिस का है।) लेकिन पाकिस्तानी आर्मी को ना तो मानवाधिकारों की चिन्ता है और ना ही अदालतों की परवाह। रही बात इमरान खान की और उनकी सरकार की, वो तो फौज की गुलाम है।.
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