20 नवबंर , सुबह 8 बजे 'एक शख्स' ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाईट BA0165 की बिजनेस क्लास से लंदन की हीथ्रो हवाई अड्डे से इजरायल की राजधानी तेल अबीब के लिए उड़ान भरता है। यह शख्स पाकिस्तान से लंदन आया था। 15 दिसंबर को नूर दाहरी (Noor Dahidi) के इस ट्वीट ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया है। यह महज सिर्फ चंद लाईनों का ट्वीट नहीं था, बल्कि पूरी रिपोर्ट है। नूर दाहरी (Noor Dahidi) के इस के बाद के ट्वीट्स में कहा गया है कि मेरे इजरायली खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी एस्टेब्लिशमेंट (पाकिस्तानी आर्मी) और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने नवबंर में इजरायल के साथ बातचीत की शुरुआत करने का फैसला किया और इसके लिए इमरान खान ने अपने सबसे विश्वसनीय सलाहकार को इजरायल भेजने का फैसला किया।
<h4>नूर दाहिरी के ट्वीट से पाकिस्तान में मचा बवाल</h4>
नूर दाहरी (Noor Dahidi) के मुताबिक, इमरान खान का सलाहकार ब्रिटेन में रहता है और उसके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और खाड़ी देशों से अच्छे संबध हैं। इसी वजह से उसने इजरायल का दौरा किया। नूर (Noor Dahidi) के ट्वीट के मुताबिक, ट्रंप और इजरायल के विदेश मंत्रालय को इस शख्स की इजरायल यात्रा की पूरी जानकारी थी। तेल अबीब के हवाई अड्डे पर इजरायल के अधिकारी इस शख्स को अपने साथ विदेश मंत्रालय में ले गए। इस शख्स ने प्रधानमंत्री इमरान खान का इजरायली प्रधानमंत्री के नाम लिखा एक खत भी दिया। य़ह शख्स कुछ दिनों तक इजरायल में मेहमान के तौर पर रहा और इस दौरान उसकी मुलाकात इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के चीफ से करायी गई। इस शख्स ने मोसाद के चीफ को पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का एक खत दिया। नूर के मुताबिक, पाकिस्तान, एफएटीएफ के मामले में इजरायल से सहयोग चाहता है। पाकिस्तान ने इजरायल को भेजे गए संदेश में कहा है कि वो इजरायल के साथ संबध धीरे-धीरे ही बढ़ा सकता है। अगर ये काम एकदम से किया गया तो पाकिस्तान में धार्मिक उग्रवाद भड़कने का खतरा है। नूर दाहिरी (Noor Dahidi) का कहना है कि इजरायल इसके लिए तैयार है।
नूर दाहरी  (Noor Dahidi)के ट्वीट से पाकिस्तान में खलबली मच गई है। एक तरफ तो कुछ लोगों ने नूर को भारतीय रॉ एजेंट करार दिया तो कुछ लोग अविश्वास से सिर हिला रहे हैं। कुछ लोग यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर इमरान खान का भरोसेमंद सलाहकार कौन है। नूर दाहरी के ट्वीट से घमासान पर पाकिस्तान सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है।
<h4>क्या इजरायल और पाकिस्तान में संबंध बन सकते हैं</h4>
यहां यह जानना भी जरूरी है कि जिस नूर दाहरी ने (Noor Dahidi) पाकिस्तान में तूफान खड़ा कर दिया आखिर वो है कौन? पाकिस्तानी मीडिया के लिए नूर दाहरी  (Noor Dahidi) अपरिचित नहीं हैं। पाकिस्तान में जन्मे, पले बढ़े, नूर अब ब्रिटेन के नागरिक हैं। नूर ने ऑक्सफोर्ड यूनिर्वसिटी से काउंटर टेररिज्म, फोरेंसिक और क्रिमिनल साइकोलॉजी की डिग्री हासिल की। उसके बाद लंदन के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के साथ भी काम किया है। नूर दाहरी (Noor Dahidi), इस्लामिक थियोलॉजी ऑफ़ काउंटर टेररिज्म- ITCT के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक हैं, जो ब्रिटेन स्थित काउंटर इस्लामिक टेररिज्म का थिंक टैंक है। नूर दाहरी ने लंदन पुलिस के साथ भी काम किया है।
नूर दाहरी के ट्वीट और इमरान खान की कवायद के बाद सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान और इजरायल के बीच संबध सुधर सकते हैं?
<h4>इमरान ने कहा बहुत प्रेशर है</h4>
पिछले काफी दिनों से पाकिस्तानी मीडिया में इस विषय पर बहस हो रही है। बहस इस विषय पर थी कि अगर यूएई और बहरीन जैसे खाड़ी देशों ने इजरायल के साथ रिश्ते कायम कर लिए हैं तो क्या पाकिस्तान को भी ऐसा करना चाहिए? चर्चाएं सउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सुल्तान और इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की कथित गुप्त मुलाकात भी हुई। जानकारों का मानना है अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इसमें एक अहम रोल है। लेकिन क्या पाकिस्तान और इजरायल के बीच संबध स्थापित हो सकते हैं खास कर जब पाकिस्तानियों को उनकी हूकुमतें यह बताती रहीं हों कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन इंडिया और इजरायल हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से जब पूछा गया तो पहली बार तो उन्होंने साफ मना कर दिया लेकिन अब वो कह रहे हैं कि (उन पर काफी प्रेशर है ) इजरायल के साथ संबध सुधारने के लिए।
<h4>पाकिस्तानी मीडिया के कुछ लोग गए थे इजराइल</h4>
पाकिस्तानी जानकार इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं लेकिन यह मानते हैं कि सउदी अरब और अमेरिका का दबाव है पाकिस्तान की हुकूमत पर। इसके अलावा हुकूमत के करीबी समझे जाने वाले पाकिस्तानी पत्रकारों का झुकाव इजरायल की तरफ जरुर दिखता है और कुछ दिनों पहले वो इजरायली सरकार के विशेष आमंत्रण पर इजरायल भी गए थे। पाकिस्तानी पत्रकार कामरान खान ने ट्विटर पर पूछा, (हम इजरायल के साथ रिश्ते कायम करने के फायदे-नुकसान पर चर्चा क्यों नहीं कर सकते हैं?) एक पत्रकार ने सवाल उठाया कि (क्या किसी ने गौर किया कि पीटीआई के भीतर इजरायल को मान्यता देने की बात उठ रही है?
<h4>पाकिस्तान में कट्टरपंथियों का डर</h4>
पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के डर की वजह से इजरायल को लेकर ज्यादा बात नहीं होती है। हालांकि, मीडिया और विशेषज्ञों के बीच ये बहस अक्सर छिड़ती रही है कि क्या पाकिस्तान को भी इजरायल पर अपने पुराने रुख को छोड़ते हुए कूटनीतिक रिश्ते कायम कर लेने चाहिए । भारत और अरब देशों की बढ़ती दोस्ती और अरब देशों से कश्मीर पर समर्थन न जुटा पाने की वजह से ये बहस और तेज हुई है। कश्मीर पर अरब देशों की चुप्पी के बाद पाकिस्तान के सामने यह धर्मसंकट पैदा हो गया है कि वह इस्लामिक लड़ाई को पीछे छोड़ते हुए इजरायल के साथ राजनयिक संबंध कायम करे या नहीं।
<h4>पाकिस्तान ने सऊदी को नाराज कर दिया</h4>
यूएई ने पीएम नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया था जिसके बाद से ही पाकिस्तान में दुनिया भर के मुस्लिम एकता पर सवाल खड़े होने लगे। और हाल में भारतीय सेनाध्यक्ष के अरब देशों का दौरों से भी पाकिस्तान चिंतित हुआ है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान ने तुर्की से नजदीकी बढ़ाकर अमेरिका और अरब देशों में खास कर सउदी अरब को नाराज कर दिया है जिन पर वो पूरी तरह से आश्रित रहा है। इजरायल से संबध स्थापित करने के मुद्दा बेनजीर भुट्टो से लेकर परवेज मुशर्रफ तक उठता रहा है। 2005 में परवेज मुशर्रफ के विदेश मंत्री और इजरायल के विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत हुई थी। मुशर्रफ ने तब पाकिस्तान-इस्रायल के संबंधों के बारे में कहा था कि दोनों देशों के बीच कोई दुश्मनी नहीं है लेकिन लेकिन अपनी सत्ता को जोखिम में डालकर इस यहूदी देश के साथ संबंधों को सामान्य बनाना उनके लिए संभव नहीं था।
<h4>पाकिस्तानी आर्मी क्यों चुप है</h4>
15 साल बाद एक बार बहस छिड़ गयी है लेकिन धार्मिक कठमुल्लाओं की जमात के खिलाफ पाकिस्तान की सबसे ताकतवर संस्था पाकिस्तानी आर्मी भी चुप बैठी है। इस बीच पाकिस्तानी में ट्विटर पर कयास लगाए जा रहे हैं कि इमरान खान का विशेष दूत कौन है जिसे इजरायल भेजा गया था – जुल्फी बुखारी ? ब्रिटिश -पाकिस्तानी बुखारी इमरान खान के अंतरंग मित्र और विशेष सलाहकार हैं।.
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