Pakistan Crisis IMF: पाकिस्तान आज जिस हाल में है उसने वो खुद से ही बनाया है। मुल्क जल्द ही डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंच गया है। पाकिस्तान के पास खाने के लाले पड़े हुए हैं, उसके कई बड़े उद्योग बंद होने के कगार पर हैं। खासकर टेक्स्टाइल इंडस्ट्री कुछ ही दिनों में बंद हो सकती है। इसके साथ ही अन्य कई क्षेत्रों का भी यही हाल है। अब जिन्ना का देश महाकंगाल हो गया है। क्योंकि, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार गिरते-गिरते अब पाताल तक पहुंच गया है। मुल्क के पास सिर्फ तीन हफ्ते के आयात का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंचे पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को बहुत बड़ा झटका दिया है। आईएमएफ ने सर्कुलर डेब्ट मैनेजमेंट प्लान को खारिज कर दिया है।
आईएमएफ (IMF) ने पाकिस्तानी अधिकारियों से कहा कि वे बिजली के दाम को 12.50 रुपये प्रति यूनिट बढ़ाएं। फंड ने कहा कि इससे 335 अरब रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी को वर्तमान वित्तीय वर्ष में सीमित किया जा सकेगा। शहबाज सरकार को उम्मीद थी कि आईएमएफ अधिकारियों के साथ चल रही बातचीत में लोन का रास्ता साफ होगा लेकिन अब उसे बड़ा झटका लगता दिख रहा है। आईएमएफ का मिशन इस समय पाकिस्तान में है और सरकार के साथ नौवीं समीक्षा बातचीत कर रहा है जो 9 फरवरी तक अभी चलेगी।
वहीं इस बातचीत के दूसरे दिन आईएमएफ ने शहबाज सरकार के कर्ज मैनेजमेंट प्लान को ‘अव्यवहारिक’ करार दिया। उसने कहा कि यह प्लान कुछ गलत धारणाओं पर आधारित है। अब शहबाज सरकार को अपनी नीतियों में अब बदलाव करना होगा ताकि बिजली सेक्टर में हो रही हानि को रोका जा सके। आईएमएफ और पाकिस्तान का वित्त मंत्रालय राजकोषीय घाटे को कम करने पर काम करेंगे।
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पाकिस्तान ने फिर रची साजिश
पाकिस्तान (Pakistan) का सर्कुलर डेब्ट 952 अरब रुपये की भारी भरकम राशि तक पहुंच गया है। शहबाज सरकार ने अब आईएमएफ को कर्ज के मैनेजमेंट के लिए नया प्लान दिया है। इसमें कहा गया है कि बिजली का बिल 7 रुपये प्रति यूनिट बढ़ाने के बाद भी साल 2023 की शुरुआती दो तिमाई में 675 अरब रुपये की सब्सिडी की जरूरत होगी। आईएमएफ ने इसका कड़ा विरोध किया है और शहबाज सरकार से कहा कि वह बिजली के दाम में 11 से लेकर 12.50 पैसे प्रति यूनिट की दर से बढ़ाए।आईएमएफ ने कहा कि इससे सरकार के अतिरिक्त सब्सिडी को आधा करने में सफलता मिल जाएगी जो अभी 675 अरब रुपये है। यही नहीं आईएमएफ ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 675 अरब रुपये के सब्सिडी के आंकड़े की गणना पर भी सवाल उठाया। उसने कहा कि शहबाज सरकार ने एक्सचेंज रेट को गणना करते समय नजरअंदाज किया।
आईएमएफ के इस डंडे के बाद अब शहबाज सरकार को अपनी चालबाजी को छोड़कर बिजली के ज्यादा दाम बढ़ाने ही होंगे। शहबाज सरकार की कोशिश है कि वह किसी तरह से बिजली के कम दाम बढ़ाए ताकि चुनाव में उसे जनता का विरोध न झेलना पड़े। आईएमएफ ने शहबाज सरकार को विपक्षी इमरान खान से भी बातचीत के लिए भी कहा है।
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