पाकिस्तान (pakistan) की अवाम इन दिनों बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है। आलम यह है कि मुल्क की जनता को दो समय की रोटी नसीब होने के भी लाले पड़े हुए हैं। देश में महंगाई 48 सालों में अपने चरम स्तर पर है और बिजली संकट ने हालात बेकाबू कर दिए हैं। जिन्ना का मुल्क इस वक्त वहां पर है जहां से वापसी करना उसके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। मुद्रा संकट से लेकर मानवाधिकार और राजनीतिक संकट ने स्थिति को और जटिल बना दिया है और विदेशी मुद्रा भंडार अब सिर्फ तीन हफ्तों का ही आयात किया जा सकता है। दशकों में पहली बार देश इतनी विकट स्थिति में है कि हालात श्रीलंका और घाना की तरह हो गए हैं।
IMF ने भी दिया तगड़ा झटका
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से पाकिस्तान को थोड़ी बहुत उम्मीद थी। यह देश आईएमएफ से पहले भी 22 बार कर्ज ले चुका है। लेकिन इस बार हालात ऐसे हैं जिसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। सितंबर 2022 में आई बाढ़ और रूस-यूक्रेन की जंग ने गरीबी में आटा गीला करने का काम किया। ऊर्जा की कीमतें आसमान पर हैं और दुनिया की अर्थव्यवस्था भी मंदी की स्थिति में है। पाकिस्तान भी अब दुनिया के उन देशों में आ चुका है जो कर्ज से बुरी तरह से लदे हुए हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इन देशों का भी पाकिस्तान जैसा हाल हो सकता है। चीन, इस मुल्क का सबसे अच्छा देश है और इसने सबसे ज्यादा कर्ज दिया हुआ है।
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घाटे का सौदा किसके मथे?
विशेषज्ञों की मानें तो हर किसी को एक घाटे का सौदा करना होगा। यह तो नहीं हो सकता कि आईएमएफ से फंड लिया जाए और फिर इसे चीनी कर्ज चुकाने में खर्च कर दिया जाए। सरकार की तरफ से तीन अरब डॉलर वाले विदेशी मुद्राभंडार को बचाने के लिए आयात पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। ऐसे में कई कंटेनर्स बंदरगाहों पर फंसे हैं। पाकिस्तान को आईएमएफ से 6.5 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज चाहिए। आईएमएफ अधिकारियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। आईएमएफ के अधिकारी शहबाज सरकार से कड़े उपायों को लागू करने की अपील कर रहे हैं। वो लगातार मांग कर रहे हैं कि सब्सिडी को खत्म किया जाए और नए टैक्स थोपे जाएं। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आईएमएफ की मांगों को मानने के मूड में नहीं हैं। पाकिस्तान पर कुल 240 अरब डॉलर का कर्ज है और ऐसे में आईएमएफ से मिला फंड काफी कम साबित होने वाला है।
चीन को आगे आना होगा
पाकिस्तान पर जो विदेशी कर्ज है उसमे ज्यादातर यानी 100 अरब डॉलर बहुपक्षीय या द्विपक्षीय है जिसमें पश्चिमी लेनदार भी शामिल हैं। आईएमएफ और चीन का करीब 30 अरब डॉलर कर्ज है और सिर्फ आठ अरब डॉलर यूरो बांड्स हैं। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन का कहना है कि चीन को पाकिस्तान के लिए कदम उठाना होगा। उनकी मानें तो चीन अब आईएमएफ के साथ होने वाली वार्ता में शामिल नहीं होना चाहता है। इसी वजह से अब तक कुछ भी नहीं सुलझ पाया है।
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