पिछले महीने पाकिस्तान (pakistan) में 9 मई को सेना के खिलाफ जबरदस्त जनाक्रोश देखने को मिला। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी का विरोध कर रही भीड़ ने सेना के प्रतिष्ठानों और सरकारी इमारतों पर हमला किया और तोड़फोड़ की। वहीं रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्टर पर हमला किया गया। मियांवली में पाकिस्तानी वायु सेना के अड्डे पर आगजनी हुई। अफवाहें यह भी थी कि पाकिस्तानी सेना के कुछ वरिष्ठ कमांडरो ने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के आदेशों को मानने से इनकार कर दिया था। इस भयावह अराजकता ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों (Nuclear weapon) की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। वैसे ऐसा पहली बार नहीं, जब पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर दुनिया ने चिंता जताई है। इससे पहले भी तख्तापलट और आतंकवादी हमलों के दौरान पाकिस्तानी परमाणु शस्त्रागारों की सुरक्षा पर सवाल उठ चुके हैं।
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से दुनिया परेशान
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर सुरक्षा चिंताओं ने लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को परेशान किया है। अन्य खतरनाक परिदृश्यों में सेना के भीतर इन हथियारों का नियंत्रण पाने वाले सैन्य अधिकारियों का डर भी एक चिंता का विषय रहा है। विशेषज्ञ लंबे समय से दावा करते रहे हैं कि पाकिस्तान के इनसाइडर जिहादी सहयोग पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। 2011 में मेहरान नौसैनिक अड्डे, 2012 में कामरा एयरफोर्स बेस और 2014 में पीएनएस जुल्फिकार पर हुए हमलों ने इनसाइडर जिहादी हमलों के पुख्ता सबूत पेश किए हैं।
पाकिस्तान ने किया ये दावा
पाकिस्तान का दावा है कि उसके परमाणु हथियारों की सुरक्षा पुख्ता है। हालांकि, पाकिस्तान ने आज तक अपने परमाणु सुरक्षा को लेकर कोई भी जानकारी साझा नहीं की है। इसके बावजूद न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (NTI) और आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन जैसे स्वतंत्र न्यूक्लियर वॉचडॉग एजेंसियों ने पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा को लेकर विस्तृत विवरण जारी किया है। पाकिस्तान दावा करता है कि वह अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और हथियारों के भंडारों की सुरक्षा में अत्याधिक प्रशिक्षित और विश्वसनीय कर्मियों को ही तैनात करता है। पाकिस्तान ने इसके लिए कर्मचारी विश्वसनीयता कार्यक्रम (PRP) को भी लागू करने का दावा किया है।
पाक परमाणु हथियारों के परिवहन में करता है लापरवाही
हथियारों की सुरक्षा के मोर्चे पर, पाकिस्तान ने भौतिक छेड़छाड़ और अनधिकृत पहुंच का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले अपने टैम्पर इंडिकेटिव डिवाइसेस (TIDs) को अपग्रेड और स्वदेशी बनाने का दावा किया है। पाकिस्तान का दावा है कि उसने परमाणु हथियारों को सशस्त्र करने और विस्फोट से रोकने के लिए प्रिमेसिव एक्शन लिंक विकसित किए हैं। परमाणु हथियारों के ट्रांसपोटेशन को लेकर पाकिस्तान की लापरवाही जगजाहिर है।
भारत को कितना खतरा
न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव की 2020 की रिपोर्ट यह बताती है कि पाकिस्तान ने ट्रांसपोटेशन के दौरान परमाणु हथियारों और रेडियोएक्टिव सामग्रियों की सुरक्षा में काफी सुधार किया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों कीी सुरक्षा पर पहले से ज्यादा सुधार किया है। हालांकि, इन दावों को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करना मुश्किल है। फिर भी परमाणु हथियारों और सामग्री के लिए मौजूदा सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं हो सकते हैं। सामरिक परमाणु हथियारों की ओर पाकिस्तान का झुकाव उसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया को जटिल बनाता है।
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