Afghanistan के पीठ में पाकिस्तान का खंजर- तालिबान के समर्थन में खुलकर सामने आए Imran Khan

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अफगानिस्तान पर अब तालिबानियों ने कब्जा कर लिया है। रविवार को तालिबान काबुल में घुस गया और राष्ट्रपति महल पर कब्जा कर लिया। कई देश इसकी निंदा कर रहे हैं लेकिन अफगानिस्तान के पड़ोसी देश पाकिस्तान तालिबान की गुणगान में कसीदे पढ़ रहा है। यह कोई और नहीं बल्कि खुद पाक प्रधानमंत्री इमरान खान हैं। वैसे अपने पड़ोंसी देशों को धोखा देना पाकिस्तान को अच्छे से आता है। इससे पहले भी जब 1996में तालिबान सत्ता में आया था तो उसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अहम भूमिका निभाई थी।</p>
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आतंकवादियों को पाल-पोस कर बड़ा करने वाला पाकिस्तान का पहले से ही तालिबानियों को समर्थन है और अब खुलकर सामने आने लगा है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें 'तालिबान खान' यानी इमरान खान यह कहते नजर आ रहे हैं कि,<em> "दिमागी गुलामी की जंजीरों को तोड़ना सबसे ज्यादा मुश्किल होता है। अफगानिस्तान में अब उन्होंने (तालिबान) ने गुलामी की जंजीरें तोड़ दी हैं"।</em> पाकिस्तान पर पहले भी तालिबान का समर्थन करने के आरोप लगते रहे हैं। अफगानिस्तान में काम करने वाले कई पत्रकारों ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि तालिबान का समर्थन करने के चलते अफगानिस्तान में पाकिस्तान के लिए नफरत को साफतौर पर देखा जा सकता है।</p>
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Pakistan PM Imran Khan: "It's more difficult to break the chains of mental slavery. Now in Afghanistan, they've broken the chains of slavery."<br />
Just amazing.<a href="https://t.co/HUa1F4pt7v">pic.twitter.com/HUa1F4pt7v</a></p>
— Rezaul Hasan Laskar (@Rezhasan) <a href="https://twitter.com/Rezhasan/status/1427180072755032066?ref_src=twsrc%5Etfw">August 16, 2021</a></blockquote>
<script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script> अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से मान्यता देने का मन बना लिया है, इसके साथ ही चीन भी तालिबान के समर्थन में है। इमरान सरकार पहले ही यह साफ कह चुकी है कि वह काबुल में अपने दूतावास को बंद नहीं करेगा क्योंकि, तालिबान ने दूतावासों और राजनयिकों की सुरक्षा की गारंटी दी है और पाकिस्तान को उसपर पूरा भरोसा है।
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वैसे तालिबान का समर्थन करना और अफगानिस्तान को धोखा देने पाकिस्तान के लिए यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी 1996 में भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से तालिबान सत्ता में आया था। वहीं, काबुल पर कब्जा करने के बाद अमेरिका के साथ साथ कई देशों में मौजूद अफगानी नागरिक प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने अफगानिस्तान के आंतरिक मामले में दखल देने के लिए पाकिस्तान की निंदा की और इमरान के देश पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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