अंतर्राष्ट्रीय

भारी कर्ज में डूबे Pakistan पहुंचा ये इस्लामिक देश, सरकारी संपत्तियों पर शुरू किया कब्जा!

Pakistan Sell LNG Power Plants To Qatar: पाकिस्तान में इस वक्त भयानक अफरा तफरी मची हुई है। मुल्म में एक साथ कई चीजों की भारी कमी है। एक ओर जरूरत के सामनों की भारी कमी के चलते इनके दामों में अच्छी-खासी वृद्धी आ गई है तो वहीं दूसरी ओर विदेशी कर्ज बढ़ता जा रहा है। विदेश कर्ज के चलते पाकिस्तान इस वक्त दिवालिया होने के कगार पर है। ऐसे में शहबाज सरकार ने सरकारी संपत्तियों को बेचनी शुरू कर दी है। सरकारी संपत्तियों को बेच कर पाकिस्तान अपने कर्ज चुका है। कंगाली के हाल में पाकिस्तान ने अपने दो LNG प्लांट कतर (Pakistan Sell LNG Power Plants To Qatar) को बेचने का फैसला किया है। पाकिस्तान ने कतर से भी भारी मात्रा में कर्ज लिया है। चाल साल पहले पाकिस्तान सरकार ने इन पावर प्लांट्स को 1.5 बिलियन डॉलर के बदले प्राइवेट हाथों में सौंपने का फैसला किया था। अब उन्हें प्राइवेटाइजेशन वाली लिस्ट से हटा दिया गया है। इसका उद्देश्य कतर (Pakistan Sell LNG Power Plants To Qatar) को एक सीधे सौदे में इन सरकारी संपत्तियों को बेचना है ताकि आने वाले दिनों में पाकिस्तान डिफॉल्टर के खतरे से बच सके।

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पाकिस्तान पर है भारी कर्ज का बोझ
पाकिस्तान पर चीन, सऊदी अरब, यूएई और कतर का सबसे ज्यादा कर्जा है। पाकिस्तान सरकार वर्तमान में इन देशों के लिए गए कर्ज की किश्तों को चुकाने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि पाकिस्तान कर्ज देने वाले देशों से अनुरोध कर और ज्यादा समय की मांग कर रहा है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला फास्ट-ट्रैक के आधार पर सरकारी संपत्तियों को बेचने के उद्देश्य से एक नई कैबिनेट कमेटी के गठन के दो दिन बात किया गया है। 2460 मेगावाट क्षमता वाले एलएनजी से चलने वाले इन बिजली संयंत्रों को अब एक उपयुक्त विदेशी खरीदार राष्ट्र खोजने के लिए इस समिति को सौंप दिया जाएगा। रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इन दोनों प्लांट्स को कतर को सौंपा जाएगा। इसका अनौपचारिक फैसला एक दिन पहले ही हुई बैठक में लिया जा चुका है।

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जनता से छिपा रही सरकार
पाकिस्तान सरकार इस मामले को छिपाना चाहती है, इसलिए इसे लेकर कोई बयान जारी नहीं किया गया। न तो निजीकरण मंत्री और नही निजीकरण सचिव ने टिप्पणियों के अनुरोधों का जवाब दिया। पाकिस्तान के निजीकरण सूची में ये केवल दो मूल्यवान संपत्तियां थीं। उनके हटाए जाने के बाद निजीकरण मंत्रालय या निजीकरण आयोग का अस्तित्व सवालों के घेरे में आ जाएगा। पीटीआई की पिछली सरकार ने बजट वित्तपोषण के लिए लगभग 1.5 बिलियन डॉलर जुटाने के प्रयास में दोनों बिजली संयंत्रों को निजीकरण की सक्रिय सूची में डाल दिया था। हालांकि, पिछले चार वर्षों में सरकार इस मुद्दे को हल नहीं कर पाई और इनसे सरकारी इक्विटी को हटाने के लिए नए कर्ज के रूप में 103 अरब रुपये जुटाए गए। कतर पिछले चार वर्षों से इन प्लांट्स को खरीदना चाहता था।

आईएन ब्यूरो

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