इस महीने के आखिरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Modi) ग्रीस की महत्वपूर्ण राजनयिक यात्रा पर जाने वाले हैं। यह यात्रा दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की उपस्थिति के एक हिस्से के रूप में हो रही है। ग्रीस की यात्रा करने वाली आखिरी भारतीय प्रधान मंत्री 1983 में पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी थीं। पीएम मोदी की ग्रीस यात्रा को वैश्विक साझेदारी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के तौर पर देखा जा रहा है। भूमध्य सागर के किनारे स्थित ग्रीस भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार है। भारतीय नौसेना के पोत भूमध्य सागर में रणनीतिक तैनाती के दौरान ग्रीस का दौरा करते रहे हैं। इसके अलावा ग्रीस की तुर्की के साथ दुश्मनी भी भारत के साथ संबंधों में एक महत्वपूर्ण कारक बनकर उभरी है।
इस साल लिखी गयी पीएम मोदी के दौरे की पटकथा
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साल 2021 में ग्रीस यात्रा के दौरान एथेंस में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया था। उन्होंने इस प्रतिमा को भारत ग्रीस संबंधों में मील का पत्थर बताया था। विदेश मंत्री जयशंकर की 2021 की यात्रा के दौरान ग्रीस ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन पर एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इस जगह पर भारत ने साइप्रस और इटली जैसे देशों के साथ महत्वपूर्ण संबंध स्थापित किए हैं। इस साल की शुरुआत मे भारत ने वैश्विक मानवीय प्रतिबद्धता के रूप में तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप के दौरान समय पर मानवीय सहायता और आपदा राहत पहुंचाई थी।
भारत-ग्रीस में मजबूत हो रहे संबंध
भारत और ग्रीस रक्षा क्षेत्र में लगातार रिश्तों को मजबूत कर रहे हैं। ग्रीस की हेलेनिक वायु सेना के नेतृत्व में आयोजित INIOCHOS-23 बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास में भारतीय वायु सेना के एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमानों ने पहली बार हिस्सा लिया था। इसके अलावा भारकीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस चेन्नई हाल में ही ग्रीस के सौदा बे पहुंचा था, जहां उसने ग्रीस के युद्धपोत निकिफोरोस फ़ोकस के साथ एक पैसेज अभ्यास भी किया।
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ग्रीस-तुर्की में कैसी दुश्मनी?
बता दें, ग्रीस की तुर्की के साथ काफी पुरानी दुश्मनी है। तुर्की भूमध्य सागर में मौजूद ग्रीस के कई द्वीपों पर अपना दावा करता है। हालांकि, ग्रीस इन दावों को सिरे से खारिज करता है। इन द्वीपों को लेकर तुर्की और ग्रीस में युद्ध जैसे हालात भी बन चुके हैं, हालांकि तब फ्रांस ने बीचबचाव किया था। तुर्की का तर्क है कि ये द्वीप उसकी तटरेखा के नजदीक हैं। ऐसे में इन पर उसका अधिकार होना चाहिए।
तुर्की और पाकिस्तान के संबंध जानें
तुर्की और पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर एक दूसरे के कट्टर सहयोगी बने हुए हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। उनके कार्यकाल के दौरान तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र में कई बार कश्मीर मुद्दे को उठाया है, हालांकि हर बार भारत ने कड़ा जवाब देकर उसकी बोलती बंद कर दी है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक तुर्की के दौरे पर नहीं गए हैं। इसके अलावा तुर्की सैन्य मोर्चे पर भी पाकिस्तान का समर्थन करता है। तुर्की ने पाकिस्तान को युद्धपोत और कई घातक हथियार दिए हैं।
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