अंतर्राष्ट्रीय

Saudi Arab के लिए बड़ा खतरा बने Putin! India-China को लेकर क्या भिड़ेंगे अब दोनों देश?

1930 के दशक में तेल भंडारों की खोज के बाद से ही ऑयल मार्केट में सऊदी अरब (Saudi Arab) का दबदबा रहा है। लेकिन आज परिस्थितियां ऐसे बदली हैं कि सऊदी अरब (Saudi Arab) को अब रूस से ऑयल मार्केट में कड़ी टक्कर मिल रही है। यूक्रेन युद्ध के बीच रूस अब एशिया में सऊदी अरब के लिए बड़ा खतरा बन गया है। जी हां, रूस ने भारत, चीन समेत एशिया में सऊदी अरब की तेल के निर्यात के मामले में बादशाहत को हिलाकर रख दिया है। तेल उद्योग के चर्चित विशेषज्ञ पॉल सांके ने चेतावनी दी है कि एशिया में रूसी तेल के बढ़ते निर्यात से वैश्विक तेल बाजार में सऊदी अरब के प्रभुत्‍व को बड़ा खतरा पैदा हो गया है। रूसी तेल ने  (Saudi Arab) सऊदी प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान के माथे पर तनाव की लकीरें खींच दी हैं। अगर केवल भारत की बात करें तो अब रूस अब तेल आपूर्ति के मामले में सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया है।

भारत अब अपनी कुल जरूरत का करीब 20 फीसदी तेल रूस से खरीद रहा है। पॉल सांके ने कहा कि सऊदी तेल बनाम रूसी तेल से बाजार में प्रतिस्‍पर्द्धा काफी बढ़ गई है। उन्‍होंने सऊदी अरब के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि शॉर्ट सेलर्स तेल के दामों में आई गिरावट के लिए जिम्‍मेदार हैं। उन्‍होंने सऊदी अरब के सलाह दी कि वह तेल के मामले में संतुलन पर सऊदी अरब का फोकस होना चाहिए। खासतौर पर रूस की ओर से चुनौती पेश किए जाने के बाद सऊदी अरब को अपने रुख में बदलाव करना चाहिए।

रूसी रणनीति है कि अपने तेल के निर्यात को यूरोप से हटाकर अब एशिया में बेचा जाए

पॉल सांके ने कहा कि रूसी रणनीति है कि अपने तेल के निर्यात को यूरोप से हटाकर अब एशिया में बेचा जाए। अब तक सऊदी अरब ही एशिया में तेल की आपूर्ति में दबदबा रखता था। उन्‍होंने कहा कि इससे दोनों ही तेल निर्यातक देशों के बीच एक प्रतिस्‍पर्द्धा शुरू हो गई है जो काफी अहम है। उन्‍होंने कहा कि सऊदी प्रिंस और रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन के बीच अच्‍छे संबंधों के बाद भी तेल के खेल से टेंशन पैदा होने की आशंका बढ़ गई है। इससे पहले सऊदी अरब और रूस दोनों ही मिलकर तेल के उत्‍पादन में कमी या बढ़ोत्‍तरी को लेकर फैसला करते थे।

यह भी पढ़ें: China के इशारो पर क्यों नाच रहा है Saudi Arab? क्यों दुश्मन ईरान को बनाया दोस्त?जाने इनसाइड स्टोरी

यूक्रेन युद्ध के पहले तक भारत केवल 2 फीसदी रूसी तेल खरीदता था लेकिन यह अब बढ़कर कुल जरूरत का 20 फीसदी हो गया है। भारत ने रूसी सीबॉर्न तेल खरीदने के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। वहीं चीन भी हर दिन करीब 8 लाख बैरल तेल पाइपलाइन के जरिए रूस से खरीद रहा है। नाटो देशों के प्रतिबंध लगाने के बाद अब रूस अपने ऊर्जा निर्यात में विविधता ला रहा है। रूस अपने समुद्र के रास्‍ते भेजे जाने वाले तेल का 90 फीसदी अब केवल भारत और चीन को बेच रहा है। रूस अब चीन को और ज्‍यादा तेल बेचने की तैयारी कर रहा है।

आईएन ब्यूरो

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