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China के इशारो पर क्यों नाच रहा है Saudi Arab? क्यों दुश्मन ईरान को बनाया दोस्त?जाने इनसाइड स्टोरी

Saudi Arab and China

सऊदी अरब (Saudi Arab) को पारम्परिक तोर से अमेरिका का क़रीबी माना जाता है। लेकिन, मोहम्मद बिन सलमान के सत्ता संभालने के बाद से ही सऊदी अरब और अमेरिका की दूरियां बढ़ती जा रही है। वहीं, सऊदी अरब, रूस और चीन जैसे अमेरिका के पुराने दुश्मनों के करीब जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में सऊदी अरब(Saudi Arab ) ने एक के बाद एक कई फैसले ऐसे लिए हैं, जो अमेरिकी हितों के खिलाफ हैं। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान तेल और गैस की बढ़ती कीमतों के बीच क्रूड ऑयल के उत्पादन में कटौती पर विचार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं सऊदी अरब पुराने दोस्त अमेरिका का साथ छोड़कर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी तो नहीं मार रहा।

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने संकेत दिया है कि वह सऊदी हितों को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की मदद के बिना अकेले आगे बड़ने को तैयार हैं। चाहें इसका मतलब ईरान जैसे अमेरिका विरोधियों के साथ फिर से संबंध स्थापित करना हो या फिर तेल आपूर्ति को घटाना हो। प्रिंस सलमान ने सऊदी अरब को विशाल आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए विजन 2030 पर ध्यान केंद्रित किया है। क्राउन प्रिंस यह जानते हैं कि एक न एक दिन सऊदी के तेल के भंडार खत्म हो जाएंगे। ऐसे में वो देश की अर्थव्यवस्था की निर्भरता तेल से कम करना चाहते हैं। वह सऊदी अरब को बिजनेस और टूरिज्म हब बनाना चाहते हैं।

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सऊदी विश्लेषक अब्दुलअजीज सगर ने कहा कि सऊदी अरब अलगाव से जुड़ाव की ओर बढ़ रहा है ताकि वह विजन 2030 पर आगे बढ़ने पर ध्यान केंद्रित कर सके। इस बीच रविवार को को ओपेक(OPEC) देशों ने तेल उत्पादन में और ज्यादा कटौती करने पर बातचीत शुरू की है। इससे वैश्विक बाजार में हड़कंप मच गया है। आशंका जताई जा रही है कि ओपेक के इस फैसले से पूरी दुनिया में तेल और गैस के दाम और ज्यादा बढ़ेंगे। हालांकि, उन देशों पर खास असर नहीं होगा जो रूस से सस्ते तेल और गैस को खरीद रहे हैं। इससे यूरोपीय देशों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है।