पाकिस्तान और तालिबान के बीच इस वक्त स्थिति युद्ध जैसी हो गई है। आज से आठ महीने पहले दोनों इतने अच्छे दोस्त थे कि, तालिबान को अफगानिस्तान में कब्जा करने के लिए पाकिस्तान ने ही सबसे ज्यादा मदद की। साथ ही तालिबान सरकार की गठन के दौरान भी पाकिस्तान की आईसआई का हाथ रहा। इस दौरान आईएसआई चीफ वहां पर मौजूद थे। यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तो जब भी मौका मिला विश्व मंच पर गला फाड़ कर चिल्लाए कि दुनिया अपना समर्थन दे। लेकिन, यही तालिबान अब पाकिस्तान के लिए नासूर बन बैठा है। हालांकि, इसमें सबसे ज्यादा गलती पाकिस्तान की है। क्योंकि, पाकिस्तान यहां भी अपना फायदा देख रही थी और डूरंड लाईन पर बाढ़ लगा रही थी। जिसके बाद से विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों में दुश्मनी का माहौल पौदा हो गया।
बीते 14 अप्रैल को अफगान के सीमा रक्षक बल ने पाकिस्तान के चित्राल इलाके में पाकिस्तानी सेना की चौकियों पर 35 गोले दागे और अंधाधुंधी गोलीबारी की। फायरिंग छह घंटों तक चलती रही। पेशावर से मिली खबरों के मुताबिक इसके जवाब में पाकिस्तानी के लड़ाकू विमानों ने अफगानिस्तान के खोश्त और कुनार प्रांतों में बीते शनिवार (16 अप्रैल) तड़के भारी बमबारी की। इस हमले में आतंकवादी समूहों तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और हाफिज गुल बरादर गुट को निशाना बनाया गया। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि पाकिस्तान के तीन हवाई हमलों में 40 से ज्यादा आम लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
टीटीपी और हाफिज गुल बरादर गुट पाकिस्तान सरकार के कट्टर विरोधी हैं। आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान में अपना अड्डा बनाया हुआ है और यहां से सीमा पार कर वे नॉर्थ वजीरीस्तान प्रांत और कुछ दूसरे पाकिस्तानी इलाकों में हमले करते हैं। तालिबान सरकार इस आरोप का खंडन करती रही है कि उसने पाकिस्तान विरोधी आतंकवादियों को पनाह दे रखी है। इसके साथ ही आतंकी हमलों को रोकने के लिए पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगी अपनी 2,700 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाई है। लेकिन, बाड़ लगाने को लेकर तालिबान और पाकिस्तान के बीच टकराव बढ़ गया है। तालिबान का कहना है कि औपनिवेशिक जमाने में खींची गई रेखा को पाकिस्तान जबरन सीमा के रूप में थोपने की कोशिश कर रहा है। अब वो दिन दूर नहीं है जब दोनों देशों के बीच जंग देखने को मिलेगी। क्योंकि, इसबार तालिबान कमजोर नहीं है।