अंतर्राष्ट्रीय

Putin के इस कदम से जलभुन उठेगा अमेरिका,जानें PM मोदी पर क्या लिखा?

रूस (Russia) को बाकी दुनिया से अलग रखने की अमेरिका और यूरोपीय देशों की मंशा को जोर का झटका लगने वाला है। आने वाली 27-28 जुलाई को व्लादिमीर पुतिन के होमटाउन सेंट पीटर्सबर्ग में रूस-अफ्रीका सम्मेलन होने जा रहा है। इसके साथ ही रूस और अफ्रीकी देशों के आर्थिक एवं मानवीय मंच की भी बैठक होगी। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए 49 अफ्रीकी देशों के नेता जुटने वाले हैं। रूस-यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से जारी जंग के दौरान यह पहला मौका होगा जब इतनी बड़ी संख्या में तमाम देशों के राष्ट्र प्रमुख रूस में मौजूद होंगे। इससे पहले अक्टूबर 2019 में पहला रूस-अफ्रीका सम्मेलन हुआ था।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आगामी रूस-अफ्रीका सम्मेलन को लेकर 24 जुलाई को एक खास लेख लिखा है। अपने लेख में राष्ट्रपति पुतिन ने अफ्रीकी देशों के साथ संबंधों को भविष्य में और अधिक मजबूत करने पर जोर दिया है। पुतिन ने अफ्रीकी देशों को संबोधित करते हुए पश्चिमी देशों की पोल भी खोली है। पुतिन ने लिखा कि अफ्रीकी देशों को इस पर गौर करना चाहिए कि अनाज समझौते के तहत कैसे पिछले एक साल में यूक्रेन से 32.8 मिलियन टन अनाज अफ्रीकी देशों को भेजने के लिए रवाना किया गया, लेकिन उसका 70 प्रतिशत अनाज यूरोप के अमीर देशों में पहुंच गया, जबकि इथोपिया, सूडान एवं सोमालिया जैसे देशों में इसका 3 प्रतिशत से भी कम अनाज पहुंचा।

अफ्रीका पर PM मोदी की पहल को पुतिन का समर्थन

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस समेत जी-20 के सभी सदस्य देशों को चिट्ठी लिखकर अफ्रीकी यूनियन को जी-20 में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। इस वर्ष भारत जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। रूस ने भारत के इस पहल का समर्थन किया है। रूसी राष्ट्रपति ने G20 एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं व्यापारिक संगठनों में अफ्रीका को प्रतिनिधित्व देने की वकालत की है। यूरोपीय देशों द्वारा अफ्रीका के शोषण का इतिहास लंबा रहा है। सैकड़ों वर्षों तक ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड, पुर्तगाल और स्पेन ने तमाम अफ्रीकी संसाधनों का जमकर दोहन किया. इतना ही नहीं इंग्लैंड के संरक्षण में जंजीबार का सबसे बड़ा दास बाजार लंबे समय तक चला। अफ्रीका के गर्भ में तेल, गैस एवं मूल्यवान धातुओं का भंडार है।

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अफ्रीका को मुफ्त अनाज देगा रूस

क्रीमिया ब्रिज पर दोबारा हमले के तुरंत बाद रूस ने 18 जुलाई को ग्रेन डील यानी अनाज समझौते को रद्द कर दिया। इसके तहत ब्लैक सी के रास्ते यूक्रेन से अनाज अफ्रीकी एवं आर्थिक रूप से कमजोर दूसरे देशों को भेजने की बात थी। रूस की दलील है कि इस तथाकथित अनाज समझौते का फायदा यूरोपीय देश एवं उसकी कंपनियां उठा रही थीं। ग्रेन डील के कत्म होने से अफ्रीका को अनाज की दिक्कत ना हो इसके लिए रूस ने अफ्रीका को अनाज आपूर्ति की पेशकश की है। रूस के प्रस्ताव में मुफ्त अनाज भी शामिल है. अनाज के अलावा दूसरे खाद्य पदार्थों एवं फर्टिलाइजर की भी आपूर्ति सुनिश्चित कराने का भरोसा दिया है। वर्ष 2022 में विभिन्न खाद्य कार्यक्रमों के तहत रूस ने अफ्रीकी देशों को 11.5 मिलियन टन अनाज दिया था।

आईएन ब्यूरो

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