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Saudi Arab के नक़्शे क़दम पर चला रूस, लिया यह बड़ा फैसला, क्या भारत पर पड़ेगा भारी?

रूस और सऊदी अरब (Saudi Arab) ने हाल ही में कच्चे तेल के प्रोडक्शन कट का ऐलान किया है। एक अगस्त से दोनों मिल 5 लाख बैरल कच्चे तेल का प्रोडक्शन कम करेंगे। इसका अगर इंटरनेशनल मार्केट में दिखना शुरू हो गया है। ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 76 डॉलर पर आ गए हैं। साथ ही डब्ल्यूटीआई के दाम भी 70 डॉलर के आसपास कारोबार कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है। ऐसे में भारत पर इसका क्या और कितना असर पड़ेगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि रूस के प्रोडक्शन कट की वजह से भारत में आने वाले रूसी तेल की शिपमेंट आने वाले दिनों में कम देखने को मिल सकती है।

कच्चे तेल के दामों में 1.6 फ़ीसदी का उछाल

सऊदी अरब (Saudi Arab) और रूस के फ़ैसले के बाद कच्चे तेल के दामों में 1.6 फ़ीसदी का उछाल आया है और एक बैरल कच्चे तेल की क़ीमत 76.60 डॉलर तक पहुंच गई है। रूस के उप-प्रधानमंत्री एलेक्सेंडर नोवाक ने कहा है कि वैश्विक बाज़ार को उसके निर्यात में 5 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की जाएगी ताकि तेल बाज़ार संतुलित रह सके। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हुए हैं, इसके बावजूद रूस का तेल निर्यात मज़बूत बना हुआ है। रूस ने फ़ैसला किया हुआ है कि वो इस साल के आख़िर तक तेल उत्पादन घटाएगा और 95 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन करेगा।

सऊदी अरब के बाद रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और 27 जून को सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बात की थी। रूस और सऊदी अरब लगातार कच्चे तेल के दामों में उछाल लाने की कोशिशें कर रहे हैं। आर्थिक सुस्ती और बड़े तेल उत्पादकों की पर्याप्त आपूर्ति के बाद कच्चे तेल के दाम में गिरावट आई है। एक साल पहले कच्चे तेल के दाम 113 डॉलर प्रति बैरल थे।

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रूस की बड़ी ऊर्जा कंपनी में शामिल रोसनेफ़्ट के प्रमुख इगार सेशिन ने कहा है कि बीते महीने ओपेक प्लस देशों की तुलना में रूस पीछे छूट रहा था और वो अपने तेल उत्पादन का बहुत छोटा हिस्सा ही निर्यात कर पा रहा था। सेशिन ने कहा कि कुछ ओपेक प्लस देश अपने उत्पादन का 90 फ़ीसदी तक निर्यात कर रहे थे, जहां रूस अपने उत्पादन का सिर्फ़ आधा ही वैश्विक बाज़ार में भेज पा रहा था।