रूस और यूक्रेन युद्ध को एक साल से अधिक का वक्त बीत चुका है लेकिन अब लगता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही जंग को खत्म करने के मूड में हैं। इस बीच व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन से जंग के बीच अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की धमकी के बीच रूस का पहला परमाणु हथियार बेलारूस पहुंच चुका है। बेलारूस की सीमा यूक्रेन से लगती है, इसलिए पुतिन के इस कदम से यूक्रेन पर परमाणु हमले का खतरा मंडरा रहा है। पुतिन ने 25 मार्च को बेलारूस में परमाणु हथियारों की तैनाती की घोषणा की थी।
पुतिन की चेतावनी
रूस यूक्रेन की सीमा से लगे देश में परमाणु बम तैनात करने की योजना के तहत आगे बढ़ रहा है। युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, यह उन सभी लोगों के खिलाफ एक निवारक उपाय है जो रूस और उसकी रणनीतिक हार के बारे में सोचते हैं। रूसी नेता की यह टिप्पणी बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के उन दावों पर मुहर लगाती है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके देश को रूस से बम और मिसाइल का पहला जखीरा प्राप्त हुआ है।
पहली बार विदेशी धरती पर परमाणु हथियार
लुकाशेंको ने रूसी और बेलारूसी की सरकारी मीडिया से कहा, हमारे पास मिसाइल और बम हैं जो हमें रूस से प्राप्त हुए हैं। बम हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों की तुलना में तीन गुना अधिक शक्तिशाली हैं। बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने घोषणा की कि रूस ने बेलारूस को परमाणु हथियारों की डिलीवरी शुरू कर दी है। 1991 के बाद पहली बार रूस ने विदेशी धरती पर परमाणु हथियार तैनात किए हैं।
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रूस के पास कितने हथियार?
रूस के पास कितने टेक्टिकल परमाणु हथियार हैं? इसका कोई आंकड़ा नहीं है।हालांकि, अमेरिका का मानना है कि रूस के पास ऐसे दो हजार हथियार हो सकते हैं। जबकि, अमेरिका के पास ऐसे 200 हथियार ही हैं। इन हथियारों को मिसाइल, टॉरपिडो और बमों के जरिए गिराया जा सकता है। हवा, पानी और जमीन पर इसका इस्तेमाल होता है। इतना ही नहीं, इन्हें किसी खास इलाके में भी ले जाया जा सकता है और वहां पर विस्फोट किया जा सकता है। अमेरिका ने अपने टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन कई यूरोपीय देशों में तैनात कर रखे हैं। ये हथियार इटली, जर्मनी, तुर्की, बेल्जियम और नीदरलैंड्स में हैं।
कितने खतरनाक हैं ये हथियार?
परमाणु हथियार कितने खतरनाक होंगे और इससे कितनी तबाही होगी? ये उनके साइज पर निर्भर करता है। विश्लेषकों का मानना है कि स्ट्रैटजिक परमाणु हथियारों को ज्यादा तबाही मचाने के लिए तैयार किया गया है, जबकि टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल कम तबाही के लिए होता है लेकिन टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार भी कम तबाही लेकर नहीं आते। इन हथियारों से होने वाले नुकसान का अनुमान लगाना हो तो उसकी तुलना हिरोशिमा में गिरे परमाणु बम से की जा सकती है। हिरोशिमा पर 15 किलो टन का बम गिरा था और उससे डेढ़ लाख लोगों की मौत हो गई थी। जबकि, अमेरिका ने यूरोप में जो सबसे बड़ा टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन तैनात किया है, उसका वजन 170 किलो टन है।
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