यूक्रेन पर हमले के लिए रूस लगातार आक्रमक होते जा रहा है। कहा जा रहा है कि रूस किसी भी वक्त हमला बोल सकता है। ऐसे में अमरिका और बाकी के नाटो देश रूस को मनाने में लगे हुए हैं। इस बीच अब अमेरिका ने भारत से मदद की मांग की है। अमेरिका ने कहा है कि अगर यूक्रेन पर रूस हमला करता है तो भारत उसका साथ देगा। लेकिन भारत के लिए रूस काफी अहम है क्योंकि, लंबे समय से भारत और रूस दोस्त रहे हैं और इस वक्त भी दोनों में गहरी दोस्ती है। ऐसे में पूरी दुनिया की नजर भारत पर है कि वो किसका साथ देगा।
रूस-यूक्रेन तनातनी के बीच अमेरिका ने कहा है कि, भारत नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है और उम्मीद जताई कि अगर रूस हमला करता है तो भारत अमेरिका का साथ देगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि, चार देशों (Quad) के विदेश मंत्रियों के बीच हाल में ऑस्ट्रेलिया के मलबर्न शहर में हुई बैठक में रूस और युक्रेन को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक में ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान औऱ अमेरिका के विदेश मंत्री शामिल हुए थे। अमेरिकी विदेश मंत्री के प्रवक्ता ने कहा कि, बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि इस मामले के राजनयिक-शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है। क्वाड नियम आधारित अंतराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का पक्षधर है। प्रवक्ता ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि, नियम आधारित व्यवस्था हिंद प्रशांत क्षेत्र में समान रूप से लागू होती है, जैसे कि यह यूरोप में है या अन्य कहीं है। हम जानते हैं कि हमारे भारतीय साझेदार नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है। इस व्यवस्था में अनेक नियम हैं, उनमें से एक यह है कि बल के जरिए सीमाओं का पुनर्निर्धारण नहीं हो सकता।
वहीं, चीन के आक्रामक रूख का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, बड़े देश छोटे देशों को परेशान नहीं कर सकते। किसी देश के लोग अपनी विदेश नीति, अपने साझेदार, गठबंधन सहयोगी आदि चुनने के हकदार हैं। ये सिद्धांत यूरोप की भांति हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी समान रूप से लागू होते हैं। प्राइस ने कहा है कि अमरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन उन्होंने इस बात पर कुछ भी बोलने से परहेज किया कि क्या काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स मामले पर भी कोई चर्चा हुई या नहीं। उन्होंने कहा, रक्षा संबंधों पर व्यापक चर्चा हुई,लेकिन इससे ज्यादा मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा।