यूक्रेन जंग शुरू होने की सबसे बड़ा वजह नाटो (NATO) रहा है। मिंस्क समझौते के अनुसार यूक्रेन ने यह बात मान ली थी कि वो कभी भी नाटो में शामिल नहीं होगा। लेकिन अचानक से यूक्रेन रट लगाने लगा कि वो नाटो में शामिल होने जा रहा है और पश्चिमी देश मिलकर इसे मिलाने की कोशिश करने लगें ताकि अमेरिका रूस पर कंट्रोल पा सके। ये बात रूस को गवारा नहीं थी, रूस ने बार-बार कहा कि अगर वो नाटो में शामिल होता है तो फिर स्थिति बिगड़ जाएगी। अंत में हुआ भी यही। अब रूस के दो और पड़ोसी देशों को अमेरिका नाटो में शामिल करने की रणनीति बना रहा है। जिसपर रूस ने खुली धमकी दी है कि अगर ऐसा हुआ तो अंजाम बेहद बुरा होगा और अब परमाणु हथियारों की तैनाती शुरू कर दी जाएगी।
ये दोनों देश फिनलैंड और स्वीडन हैं जो नाटो में शामिल होने की योजना बना रहा हैं। रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका और यूरोपीय यूनियन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर फिनलैंड या स्वीडन नाटो में शामिल होने का फैसला करते हैं तो रूस बाल्टिक देशों और स्कैंडिनेविया के करीब परमाणु हथियार तैनात करेगा। 2008से 2012तक रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और राष्ट्रपति मेदवेदेव ने टेलीग्राम पर लिखा है कि यदि ये देश नाटो में शामिल हो गए तो यह नाटो सदस्यों के साथ रूस की भूमि सीमा को दोगुना से अधिक कर देगा। ऐसे में स्वाभाविक रूप से, हमें इन सीमाओं को सुदृढ़ करना होगा।
इसके साथ ही पूर्व राष्ट्रपति ने कहा है कि, इस मामले में बाल्टिक नॉन-न्यूक्लियर स्थिति के बारे में और बात करना संभव नहीं होगा। संतुलन बहाल करना होगा। रूस इस क्षेत्र में परमाणु हथियार तैनात करने का हकदार होगा। रूस अपने जमीनी बलों और हवाई सुरक्षा के समूह को गंभीरता से मजबूत करेगा और फिनलैंड की खाड़ी में महत्वपूर्ण नौसैनिक बलों को तैनात करेगा। वहीं, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मामले को लेकर बयान दिया है कि, इस बारे में कई बार बात की गई है और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नाटो की बढ़ती सैन्य क्षमता के कारण हमारे पश्चिमी हिस्से को मजबूत करने पर एक आदेश जारी किया है। वहीं परमाणु हथियारों वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि, मैं नहीं कह सकता लेकिन, उपायों, आवश्यक कदमों की एक पूरी सूची होगी। इसे राष्ट्रपति द्वारा एक अलग बैठक में कवर किया जाएगा।