यूक्रेन जंग शुरू होने की सबसे बड़ा वजह नाटो (NATO) रहा है। मिंस्क समझौते के अनुसार यूक्रेन ने यह बात मान ली थी कि वो कभी भी नाटो में शामिल नहीं होगा। लेकिन अचानक से यूक्रेन रट लगाने लगा कि वो नाटो में शामिल होने जा रहा है और पश्चिमी देश मिलकर इसे मिलाने की कोशिश करने लगें ताकि अमेरिका रूस पर कंट्रोल पा सके। ये बात रूस को गवारा नहीं थी, रूस ने बार-बार कहा कि अगर वो नाटो में शामिल होता है तो फिर स्थिति बिगड़ जाएगी। अंत में हुआ भी यही। अब रूस के दो और पड़ोसी देश फिनलैंड और स्वीडन को अमेरिका नाटो में शामिल करने की रणनीति बना रहा है। जिसपर रूस ने खुली धमकी दी है कि अगर ऐसा हुआ तो अंजाम बेहद बुरा होगा और इसके नतीजे उन्हें भुगतने होंगे।
रूस ने स्वीडन और फिनलैंड को द्विपक्षीय राजनयिक चैनलों के जरिए नाटो में शामिल होने के नतीजों के बारे में चेतावनी दी है। यह जानकारी रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने दी है। जखारोवा ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि हमने सार्वजनिक रूप से और द्विपक्षीय चैनलों के माध्यम से अपनी सभी चेतावनियां जारी की हैं। स्वीडन और फिनलैंड इसके बारे में जानते हैं, उन्हें आश्चर्यचकित होने की कोई बात नहीं होगी। उन्हें हर चीज के बारे में सूचित किया गया था कि इससे क्या हो सकता है।
बता दें कि, इससे पहले रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव भी अमेरिका और यूरोपीयन यूनियन को चेतावनी दे चुके हैं कि, अगर फिनलैंड या स्वीडन नाटो में शामिल होते हैं तो रूस बाल्टिक देशों और स्कैंडिनेविया के करीब परमाणु हथियार तैनात कर देगा। वहीं, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में कहा कि इस बारे में कई बार बात की गई है और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नाटो की बढ़ती सैन्य क्षमता के कारण हमारे पश्चिमी हिस्से को मजबूत करने पर एक आदेश जारी किया है। परमाणु हथियार के शामिल किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि, मैं नहीं कह सकता लेकिन उपायों, आवश्यक कदमों की एक पूरी सूची होगी। इसे राष्ट्रपति द्वारा एक अलग बैठक में कवर किया जाएगा।