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Putin ने कहा क्यों झूठ बोल रहे जेलेंस्की, रूस चाहता तो एक दिन में यूक्रेन को राख के ढेर में बदल देता!

Putin ने कहा क्यों झूठ बोल रहे जेलेंस्की

यूक्रेन पर रूस हमला तेज कर दिया है और अब ऐसा लगता है कि किसी भी वक्त वो पूरे यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा। पश्चिमी देश लगातार रूस को मनाने में जुटे थे जब दाल नहीं गली तो कड़े प्रतिबंधों का सहारा लिया। लेकिन इसके बाद भी रूस को कोई फर्क नहीं पड़ा। उलटा आलम यह हुआ कि रूस ने ही इन पश्चिमी देशों पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। अब तो क्रूड ऑयल को लेकर रूस ने चेतावनी दे दी है कि अगर उसके उपर से प्रतिबंध नहीं हटाए गए तो 300डॉलर प्रति बैरल कच्चे तेल के लिए पश्चिमी देश तैयार रहें। इससे पश्चिमी देश में भूचाल आ सकता है। अब पुतिन ने जंग के बीच एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि, रूसी सेना जीत की ओर बढ़ रही है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ा दावा किया है। यूक्रेन की जेलेंस्की सरकार के दावों के उलट पुतिन ने कहा कि हमारी सेना यूक्रेन में बढ़त बनाए हुए हैं और हम जीत की ओर बढ़ रहे हैं। पहले ये बताते चलें कि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दावा किया कि जंग में रूसी सेना को भारी नुकसान हो रहा है और उनकी सेने ने अबतक 12हजार से ज्यादा सैनिकों को मार चुकी है साथ ही कई हथियार, लड़ाकू विमान और तोपों को नुकसान पहुंचाया है। ये एकतरफा समाचार है जबकि, हकिकत यह है कि यूक्रेन को रूस पहले ही जीत लिया होता लेकिन उसने उसे मौका दिया ताकी आम लोगों की जान न जाए। लेकिन यूक्रेन अपने ही लोगों को जंग में आगे कर दिया, हालांकि, ये वहां के लोगों के बीच राष्ट्रियता को दर्शाता है जिसके लिए उन्हें सैल्यूट है। लेकिन रूस के सामने यूक्रेन टिक नहीं पाएगा और अब रूस जीत की ओर बढ़ने लगी है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि, यूक्रेन में हमारी सेना बढ़त बनाए हुए हैं। योजना के अनुसार, हमारी सेना आगे बढ़ रही है। जल्द ही यूक्रेन में तख्तापलट होगा।

बात दें कि, अपने एक बयान में जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि 13 दिनों से यूक्रेन अकेले रूस की ताकतवर सैन्य बल के खिलाफ डटा है। लेकिन इस लड़ाई में पश्चिम ने कोई मदद नहीं की। रूस की सेना ने अपनी मिसाइलों से हमारे शहरों को नष्ट कर दिया लेकिन पश्चिम तब भी मदद के लिए आगे नहीं आया। सिर्फ प्रतिबंधों से काम नहीं चलता, धरातल पर उतरकर लड़ने से ही बात बनेगी। यूक्रेन को अब समझ नहीं आया कि पश्चिमी देश उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि, उसे अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर चलना चाहिए था।