Russia Warn Europe: रूस को रोक पाना ना तो अमेरिका बस में है और ना ही यूरोप के बस में। अमेरिका ने नाटो (Russia Warn Europe) के संग मिलकर अपनी पूरी ताकत लगा दी रूस को तोड़ने में लेकिन सब दाव फेल हो गये। उलटा यूरोप में मंदी आ गई। इस वक्त बेल्जियम, ग्रिस, फ्रांस, जर्मनी से लेकर तमाम यूरोप के देशों में भारी मंदी का दौर चल रहा है। यूक्रेन की मदद करते-करते उनके खजाने खाली हो गये हैं। इससे देश के साथ ही दुनिया पर भी भारी असर पड़ रहा है। अमेरिका (Russia Warn Europe) चाह कर भी कुछ नहीं कर सका। अब जो होने वाला है उससे न सिर्फ यूक्रेन बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन और पूरा यूरोप डरा हुआ है। एक रिपोर्ट की माने तो, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नई युद्ध रणनीति तैयार कि है। अगर ऐसा हुआ तो वो ऊर्जा सुविधाओं पर हमलों को आगे बढ़ाकर ‘दुश्मन देश’ को 18वीं सदी में वापस धकेल देंगे। इन दिनों वैसे भी हमलों के चलते यूक्रेन का 70 फीसदी इलाका अंधकार में है। रूस ने इस प्लान पर काम किया तो यूक्रेन के चलते यूरोप (Russia Warn Europe) को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप को चुकानी पड़ेगी कीमत
डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस की स्टेट ड्यूमा के सदस्य प्योत्र टॉलस्टॉय ने चेतावनी दी है कि सर्दियों से पहले यूक्रेन के बिजलीघरों पर हमलों में कोई कमी नहीं आने वाली। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी के एक सदस्य ने कहा कि यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया जाएगा और देश को 18वीं सदी में वापस धकेल दिया जाएगा। रूस की संसद के सांसद ने फ्रेंच ब्रॉडकास्टर बीएफएम पर चेतावनी देते हुए कहा कि यूक्रेन के सहयोगी अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन को उसकी मदद के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि मॉस्को में अधिकारियों ने निराधार दावा किया है कि यूक्रेन की राजधानी के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को विदेशी वायु रक्षा मिसाइलों के कारण नुकसान हुआ था। रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि कीव शहर के भीतर लक्ष्यों पर एक भी हमला नहीं किया गया।
यूक्रेन के पास शांति का मौका
उधर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि, यूक्रेन रूसी पक्ष की जरूरतों को पूरा करने के लिए पीछे हटकर दर्द को समाप्त कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि, यूक्रेन के पास स्थिति को सामान्य करने का हर मौका है। वहीं मॉस्को ने यूक्रेन की इस मांग को बार-बार खारिज किया है कि शांति वार्ता शुरू होने से पहले वे देश से बाहर हो जाएं।
जेलेंस्की की इस गलती की सजा भुगत रहा पूरा यूक्रेन
बता दें कि, पिछले महीने यूक्रेन ने जब क्रीमिया से जोड़ने वाले पुल पर हमला किया उसी के बाद से रूस ने भारी तबाही मचानी शुरू कर दी। क्रीमिया पुल पर हमला करना यूक्रेन के लिए सबसे बड़ी तबाही बनी। उसने ऐसा करके शांत रूस को और ज्यादा भड़का दिया। इसके बाद से रूस पिछले महीने की शुरुआत से ही कई मिसाइलें दांगी जिसने यूक्रेन में भारी तबाही मचा दी। खासकर ईरानी निर्मित ड्रोन को पूरे यूक्रेन में एनर्जी टारगेट की ओर भेजा गया ताकि तापमान शून्य से नीचे गिरने के पर इसकी पावर ग्रिड को तबाह किया जा सके। जंग को 9 महीने हो चुके हैं और अब ऐसा लगता है कि, रूस अब यूक्रेन को अंदर से खोखला करने पर जुट गया है।
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