यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद रूस को अमेरिका, नाटो और पूरे पश्चिमी देशों द्वारा कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच अमेरिका ने रूसी तेल पर भी बैन लगा दिया है। और पूरी दुनिया को धमकी दिया है कि जो भी रूस संग व्यापार करेगा वो उसे बर्बाद कर देगा। भारत और रूस की दोस्ती काफी पुरानी और गहरी है। हर मौके पर रूस भारत के साथ खड़ा रहा है। ऐसे में भारत से भी रूस ने तेल खरीदने के लिए कहा तो अपनी दोस्ती निभाते हुआ हैं कर दिया। जिसपर अमेरिका ने ऐतराज जताते हुए कई बाद धमकी दिया। लेकिन, सिर्फ भारत ही नहीं है जो रूस से तेल खरीद रहा है। बल्कि, कई और देश हैं जो रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहे हैं।
एशिया में रूस के कच्चे तेल का आयात बड़े पैमाने पर जारी है। जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और भारत उसके सबसे बड़े खरीदार बने हुए हैं। ये बात ताजा टैंकर ट्रैकर डाटा से सामने आई है। रूस ने 24फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था। तब से 18अप्रैल तक के आंकड़े फिलहाल उपलब्ध हुए हैं। उनका आंकड़ों का विश्लेषण वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम ने किया है। उसके मुताबिक 24फरवरी से 18अप्रैल के बीच कुल 380ऑयल टैंकर रूस से रवाना हुए। जबकि पिछले साल इसी अवधि में सिर्फ 357टैंकर ही रवाना हुए थे। यानी रूसी तेल निर्यात पर उस अवधि में कुल मिलाकर बढ़ोतरी ही हुई। इस वर्ष इस अवधि में 115टैंकर एशिया के लिए रवाना हुए।
इसके साथ हही एशिया भेजे गए टैंकरों में रूस ने 52चीन, 28दक्षिण कोरिया, 25भारत, नौ जापान और एक मलेशिया को भेजा था। यानी कि इस अवधि में रूस से भारत भेजे गए तेल में आठ गुना बढ़ोतरी हुई। जबकि चीन को निर्यात हुए तेल में 33फीसदी का इजाफा हुआ। जबकि साझा तौर पर अन्य देशों के आयात में 16फीसदी की गिरावट आई।
बता दें कि, अमेरिका और ब्रिटेन के रूसी तेल के बैन का घोषणा करन से पहले ही तेल कारोबार से जुड़ी कंपनियां बीपी और शेल ने कहा था कि वो अब रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदेंगी। इन घोषणाओं के चलते यूरोप में रूसी तेल का भाव काफी कम हो गया। रिपोर्ट की माने तो मार्च के शुरू में यूरोप में रूस तेल का भाव 111 डॉलर प्रति बैरल था, जो अप्रैल के मध्य में 78 डॉलर रह गया। लेकिन, एशियाई देशों में खरीदार इसका लाभ उठा रहे हैं। भारत ने तो साफ कहा है कि, वह अपनी जनता के हित में रूस से तेल की खरीदारी जारी रखेगा। एक रिपोर्ट की माने तो भारत को रूस सिर्फ 35 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से तेल बेच रहा है। इसके साथ ही माना जा रहा है कि, इंडोनेशिया भी जल्द यह फायदा उठाने वाला है।