यूक्रेन पर जो रूस ने सैन्य कार्रवाही की है उसे लेकर वो पिछले कई सालों से कह रहे थे कि अगर यूक्रेन अपनी मनमानी करना बंद नहीं किया तो अंजाम भुगतना होगा। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार यूक्रेन को चेतावनी देते रहे कि डोनबास में कत्लेआम बंद करे। लेकिन, यूक्रेन नहीं माना इसके बाद यूक्रेन नाटो में शामिल होने के लिए तड़पने लगा। पश्चिमी देश यूक्रेन को भड़काते रहे और वो उनकी बातों को मानता रहा और आज जब रूस ने सैन्य कार्रवाही कर दी है तो पश्चिमी देश गला फाड़ रहे हैं। पश्चिमी देश दुनिया के सामने एक तरफा चीजों को पेश कर रहे हैं। रूस को कमजोर करने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों का असर इस वक्त सिर्फ रूस पर ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। यहां तक कि सबसे ज्यादा इसका असर पश्चिमी देशों पर पड़ रहा है। लेकिन, ये बात पश्चिमी देश छुपा रहे हैं।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि, इन प्रतिबंधों से खुद पश्चिमी देश ज्यादा प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि, यूक्रेन में उनके एक्शन के लिए पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए इतिहास में सबसे गंभीर प्रतिबंधों से खुद पश्चिमी देश बुरी तरह प्रभावित हैं। आर्थिक मुद्दों पर हुई एक बैठक के दौरान पुतिन ने कहा कि, कई देश पहले से ही भूख के खतरों का सामना कर रहे हैं और अगर रूस के खिलाफ प्रतिबंध जारी रहे, तो यूरोपीय संघ (ईयू) को भी ऐसे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं जिन्हें उलटना मुश्किल होगा। TASS समाचार एजेंसी के अनुसार, रूसी नेता ने कहा, ऐसा होने पर सारा दोष सिर्फ और सिर्फ पश्चिमी देशों के अमीरों पर जाएगा, जो अपने वैश्विक प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए बाकी दुनिया को कुर्बान करने के लिए तैयार हैं। यूक्रेन पर पुतिन का आक्रमण वैश्विक आर्थिक व्यवधान पैदा कर रहा है और सबसे कमजोर देश सबसे गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
इसके आग पुतिन ने कहा कि, उनके देश के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंध वैश्विक आर्थिक संकट को हवा दे रहे हैं। पश्चिमी राष्ट्र प्रतिबंधों को लागू करने के लिए बड़ी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं और रूसोफोबिया (रूस से डर) से प्रेरित थे जिसने उनकी अपनी अर्थव्यवस्था और उनके नागरिकों की भलाई को नुकसान पहुंचाया। इसके साथ ही पुतिन ने आरोप लगाया कि, प्रतिबंध वैश्विक संकट को भड़का रहे हैं और इसके यूरोपीय संघ और दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों के लिए गंभीर परिणाम होंगे जो पहले से ही भूख के खतरे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, रूसी अर्थव्यवस्था ने पश्चिमी प्रतिबंधों का सफलतापूर्वक सामना किया है और रूसी कंपनियां पश्चिमी उद्यमों के लौटने से खाली हुए स्थान को भर देंगी।