चीन (China) ने सऊदी अरब (Saudi Arab) में अमेरिका को मात देने की पूरी तैयारी कर ली है। वैसे सऊदी अरब को अब तक अमेरिका का पारंपरिक सहयोगी माना जाता था। मगर, बीते कुछ साल से वह चीन के साथ अपनी नजदीकियों को लगातार बढ़ा रहा है। वहीं अब खबर है कि सऊदी अरब अपने देश में चीनी परमाणु ऊर्जा संयंत्र को स्थापित करने पर विचार ककर रहा है। इसे एक ऐसा निर्णय माना जा रहा है जो अमेरिकी योजनाओं को पटरी से उतार सकता है। हाल में ही चीन की मध्यस्थता से सऊदी अरब और ईरान में दशकों बाद शांति समझौता हुआ है। इसके बाद से ही सऊदी में चीन की उपस्थिति अचानक बढ़ने लगी है।
चीनी कंपनी परमाणु संयंत्र बनाने को तैयार
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बीती रोज बताया कि सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान जल्द ही चीनी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने के चीनी बोली पर अपना फैसला सुना सकते हैं। अखबार ने इस मामले से परिचित सऊदी अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि सीएनएनसी के नाम से जानी जाने वाली सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्प ने कतर और संयुक्त अरब अमीरात की सीमा के पास सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत में एक परमाणु संयंत्र बनाने के लिए बोली लगाई है।
अमेरिका ने मांगी सऊदी अरब से गारंटी
सऊदी अरब ने पहले इजरायल (Israel) के साथ अपने संभावित सामान्य समझौते के हिस्से के रूप में अपनी धरती पर एक नागरिक परमाणु कार्यक्रम स्थापित करने में अमेरिका की सहायता मांगी थी। लेकिन, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि वे परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी को केवल तभी शेयर करेंगे, अगर यह समझौता यूरेनियम के संवर्धन या रिएक्टरों में बने प्लूटोनियम के रिप्रॉसेसिंग को रोकता है। अमेरिका को डर है कि सऊदी अरब इस दोनों तकनीकों से परमाणु बम बना सकता है।
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अमेरिका को ठेंगा दिखा सकता है सऊदी
अखबार ने बताया कि सऊदी अधिकारियों ने कहा कि वे संयंत्र के रिएक्टरों के निर्माण और अमेरिकी परिचालन विशेषज्ञता को हासिल करने के लिए दक्षिण कोरियाई सरकारी कंपनी कोरिया इलेक्ट्रिक पावर को किराए पर लेना पसंद करेंगे। सऊदी अधिकारियों ने अभी तक अमेरिका के परमाणु अप्रसार वाले समझौते पर हस्ताक्षर करने या सहमति देने से इनकार किया है। अखबार ने चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय परमाणु अप्रसार नियमों का पालन करते हुए नागरिक परमाणु ऊर्जा में सऊदी अरब के साथ सहयोग करना जारी रखेगा। उधर, इजरायल के ऊर्जा मंत्री ने इजरायल-सऊदी संबंधों को घनिष्ठ बनाने के किसी भी अमेरिकी प्रयास के हिस्से के रूप में सऊदी अरब को नागरिक परमाणु कार्यक्रम में शामिल किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है।
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