Us china trade war: अमेरिका और चीन के बीच दुश्मनी अब बढ़ती जा रही है। चीन उनमें से है जो अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है। लेकिन इस बीच अब अमेरिका ने चीन को एक जोर का झटका दिया है। जी हां, अमेरिका ने चीन में निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे चीन बिलबिला उठा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी सरकार और अपने मुखपत्रों के जरिए अमेरिका को जमकर कोस रही है। चीनी विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर इसे अमेरिका का गलत फैसला बताया है। उसने इस फैसले को तुरंत वापस लेने और निवेश प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका के इस फैसले के खिलाफ जमकर जहर उगला है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने जताई आपत्ति
चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से चीन में निवेश प्रतिबंध हटाने और चीन-अमेरिका आर्थिक सहयोग और व्यापार के लिए एक अच्छा माहौल बनाने का आग्रह करता है। चीन स्थिति पर बारीकी से नजर रखेगा और दृढ़ता से हमारे अधिकारों और हितों की रक्षा करेगा। इसके अलावा मंत्रालय ने यह भी कहा कि उसने अमेरिका के समक्ष इसके खिलाफ विरोध भी दर्ज करवाया है। चीन ने दावा किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के भेष में, अमेरिका का असली उद्देश्य चीन के विकास के अधिकार को छीनना और अपना आधिपत्य बनाए रखना है, जो शुद्ध आर्थिक जबरदस्ती और तकनीकी बदमाशी है।
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ग्लोबल टाइम्स ने जमकर उगला जहर
इस दौरान अमेरिका ने बताया राष्ट्रपति जो बिडेन एक कार्यकारी आदेश जारी करके सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े तीन प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में चीन में अमेरिकी प्रत्यक्ष निवेश को सीमित या प्रतिबंधित कर देंगे। चीन को डर है कि अगर ऐसा हो गया तो मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का बादशाह चीन की अर्थव्यवस्था औंधे मुंह धड़ाम से गिर जाएगी। लेकिन, चीन उल्टा ही अमेरिका को धमका रहा है कि इससे उनकी अर्थव्यवस्था और श्रमिकों को नुकसान पहुंचेगा। इतना ही नहीं, चीन ने यह भी कहा कि अमेरिका उसकी प्रौद्योगिकी नाकेबंदी करना चाह रहा है, ताकि वह अपनी अर्थव्यवस्था को बचा सके।