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सुन्नी हमलों में 7 लोगों की मौत, दर्जनों घायल, शिया नेताओं ने पाकिस्तान पर निकाला ग़ुस्सा

पाराचिनार अफ़-पाक सीमा पर सुन्नी पाकिस्तान का एक शिया बहुल क्षेत्र है

सप्ताहांत में पाकिस्तान में ख़ैबर पख़्तनख़्वा प्रांत के पाराचिनार इलाके में सुन्नियों और शियाओं के बीच सशस्त्र संघर्ष में कम से कम सात लोगों की मौत हो गयी और 38 घायल हो गये। यह अस्थिर क्षेत्र लोगों और हथियारों की मुक्त आवाजाही के साथ अफ़ग़ानिस्तान के साथ एक खुली सीमा साझा करता है।

पिछले हफ़्ते ज़मीन के मुद्दे पर शियाओं और सुन्नियों के बीच हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें कई दिनों तक एक-दूसरे पर हमला करने के लिए भारी हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। नाटकीय वीडियो में इलाक़े में लगातार गोलीबारी होती दिख रही है। कई ट्वीट्स में कहा गया है कि इस इलाक़े में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

एक विरोधाभासी दृष्टिकोण कहता है कि झड़पें इसलिए हो रही हैं, क्योंकि तहरीक़-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादी, जो कि अफ़ग़ानिस्तान में स्थित हैं,इस प्रांत में घुस गये और शियाओं की ज़मीन पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया, जिससे पाकिस्तान में मौजूदा शिया-सुन्नी विभाजन और गहरा हो गया।

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पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में ख़ुर्रम ज़िले का पाराचिनार क्षेत्र पाकिस्तान में शिया बहुलता वाले कुछ क्षेत्रों में से एक है, जहां अल्पसंख्यक मुस्लिम संप्रदाय पर लश्कर-ए-झांगवी (एलईजे) और सिपाह-ई-सहाबा जैसे सुन्नी आतंकवादी समूहों द्वारा हमले होते रहे हैं। कई दिनों की सांप्रदायिक झड़पों के बाद शिया समूहों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और स्थिति को ऐसे ही रहने देने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की सरकार की निंदा की।

 

पाकिस्तान की सबसे बड़ी शिया राजनीतिक-धार्मिक पार्टी- मजलिस-ए-वहदत-उल-मुस्लिमीन के महासचिव और शिया नेता राजा नासिर अब्बास ज़ाफ़री ने चेतावनी दी कि शियाओं पर हमले पूरे अफ़ग़ानिस्तान से शुरू किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा: “आतंकवादी ऐसे उन्नत आग्नेयास्त्रों का उपयोग कर रहे हैं, जो स्थानीय निवासियों के पास नहीं हैं। अफ़ग़ानिस्तान से हो रहे इन उन्नत हथियारों का प्रवाह एक बड़े युद्ध की प्रस्तावना गढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि डूरंड लाइन पर सीमा की बाड़ तोड़कर पाकिस्तान में घुसे आतंकवादियों द्वारा शिया शिक्षकों और मज़दूरों की हत्या की जा रही है। शिया विद्वान ने शरीफ़ सरकार पर शियाओं पर हमलों से आंखें मूंद लेने का आरोप लगाया और यह आरोप भी लगाया है कि देश राजनीतिक हितों के लिए शिया-सुन्नी विभाजन को बढ़ावा दे रहा है।
कराची में एक अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक अन्य शिया नेता, अल्लामा सैयद नज़र अब्बास तक़वी ने चेतावनी जारी की: “पाराचिनार के मुद्दे पर तैयार रहें… पाराचिनार के मुद्दे पर ध्यान दें। क्योंकि ये शिया हैं, इसलिए कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। अगर ये आग भड़की तो पाकिस्तान की सड़कों तक पहुंच जायेगी और फिर इस पर क़ाबू नहीं पाया जा सकेगा।”

शिया नेताओं ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि यदि शिया विरोधी भावना को नियंत्रित नहीं किया गया, तो देश में गृहयुद्ध की आशंका है।
सुन्नी बहुल पाकिस्तान में कम से कम तीन दशकों से अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों पर लगातार हमले हो रहे हैं। लक्षित हत्याओं और आत्मघाती बम विस्फोटों में हज़ारों लोग मारे गये हैं।
यह दूसरी बार है जब कुछ ही महीनों में पाराचिनार में शियाओं पर हमला हुआ है। मई में इसरार शहीद हाई स्कूल में कई शिया शिक्षकों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी, जिसके बाद इस समुदाय ने शहबाज शरीफ़ सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था।

शिया स्कूल शिक्षकों पर हमले ने दुनिया भर के शिया समूहों का ध्यान खींचा था। भारत में शिया धर्मगुरु और मजलिसे उलमाए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नक़वी ने संयुक्त राष्ट्र का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, ”पाकिस्तान में शिया नरसंहार जारी है। पाकिस्तान सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संस्थायें इसे रोकने में नाकाम रही हैं। आतंकवादियों ने एक स्कूल में घुसकर सात शिक्षकों की हत्या कर दी, जो आतंकवादियों की शिक्षा विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।”
अफ़ग़ान-पाक सीमा पर स्थित सुरम्य शहर पाराचिनार को इस क्षेत्र के शियाओं के बीच तेहरान के प्रभाव के कारण अक्सर “छोटा ईरान” कहा जाता है।
कुछ साल पहले कई युवा शिया लोग ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) द्वारा बनाये गये शिया आतंकवादी संगठन – ज़ैनबियुन ब्रिगेड में शामिल हो गये थे और शिया नेता बशर अल-असद के समर्थन में लड़ने के लिए सीरिया चले गये थे। हालांकि, शुरू में पाकिस्तान को अपने शिया लोगों के सीरिया में लड़ने के लिए जाने से कोई दिक़्क़त नहीं थी, लेकिन हाल ही में उसे यह एहसास होने लगा है कि शिया लड़ाके उस देश के लिए ख़तरा पैदा कर सकते हैं, जो उन लोगों के हमलों से जूझ रहा है, जिन्हें उसने कभी “रणनीतिक” के रूप में इस्तेमाल किया था।”


घरेलू सुन्नी आतंकवादी समूह और विदेश से लौटे शिया लड़ाके, जिन्होंने सीरियाई संघर्ष में अपने कौशल को निखारा, जल्द ही अस्थिर और अराजक पाकिस्तान में एक नया युद्धक्षेत्र तैयार कर सकते हैं।