India Armenia Tension for Pak-Turkey: भारत के फाइटर जेट से लेकर, टैंक, तोप, मिसाइलों की दुनिया में तेजी से मांग बढ़ी है। भारत के ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की धाक दुनिया में है। वियतनाम के अलावा इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली और ब्राजील समेत 15 देश अब तक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में अपनी दिलचस्पी दिखा चुके हैं। भारत ने पहली बार फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बेचने का करार किया है। फिलीपींस ने अपनी नौसेना के लिए ब्रह्मोस का सौदा किया है। इधर अर्मेनिया ने अमेरिका के हीमरस को रिजेक्ट कर भारत के पिनाका को खरीदा। अर्मेनिया का अजरबैजान के बीच तनाव जारी है। अब अर्मेनिया ने भारत (India Armenia Tension for Pak-Turkey) से टैंक की मांग की है। ऐसे में ये सौदा अजरबैजान से ज्यादा पाकिस्तान और तुर्की के लिए दर्द देने वाला है। पिनाका मिसाइल सिस्टम के बाद अब अर्मेनिया ने भारत के साथ एक बड़ी आर्टिलरी डील की है। अर्मेनिया से 155 एमएम की तोप का कॉन्ट्रैक्ट मिला है जो कि तीन साल के लिये है। यह कॉन्ट्रैक्ट 155 मिलियन डॉलर का है। अब समझते हैं पाकिस्तान और तुर्की (India Armenia Tension for Pak-Turkey) के लिए क्यों ये डील टेंशन बनने वाली है।
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पाकिस्तान संग तुर्की को बड़ा झटका
दरअसल, तुर्की, अजरबैजान और पाकिस्तान के बीच इन दिनों कूटनीतिक और सैन्य संबंध गहराते जा रहे हैं। सितंबर 2020 में नागोरनो-काराबाख युद्ध के समय तुर्की और पाकिस्तान ने अजरबैजान की मदद की थी। इस युद्ध में मिली हार ने अर्मेनिया के रणनीतिकारों को एक ऐसे साथी की तलाश के लिये मजबूर कर दिया जो सैन्य, आर्थिक और कूटनीति के लिहाज से भरोसेमंद हो। उन्होंने भारत के साथ हाथ मिलाने का फैसला लिया और इंडिया ने उन्हें उदाश नहीं किया। युद्ध के समय पाकिस्तान और तुर्की खुलकर अजरबैजान के समर्थन में आये। भारत की मदद से पाकिस्तान और तुर्की जल भून उठेंगे।
अर्मेनिया के लिए भारत और ईरान एक साथ
अर्मेनिया के साथ भारत ही नहीं बल्कि ईरान भी साथ है और ये तिकड़ी ईरान, पाकिस्तान अजरबैजान पर भारी पड़ रही है। हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने अर्मेनियाई समकक्ष सुरेन पापिकयान से मुलाकात की थी। गुजरात में आयोजित डिफेंस एक्सपो से अलग यह मुलाकात तब हुई थी जब कुछ ही दिनों पहले भारत ने अर्मेनिया को हथियार देने का फैसला किया था। भारत और ईरान के बीच लंबे समय से द्विपक्षीय संबंध बरकरार हैं। अब इसमें अर्मेनिया भी शामिल हो गया है। अर्मेनिया ने अब खुद को एक ऐसे देश के तौर पर साबित कर दिया है जो मध्य एशिया में भारत का साथी बन सकता है। तुर्की-पाकिस्तान और अजरबैजान के बीच साझेदारी इस हिस्से में भारत के हितों को प्रभावित कर सकती थी।
मध्य एशिया में पैठ जमाना चाह रहा तुर्की
तुर्की मध्य एशिया में अपने कदम मजबूत करना चाहता था। इसी के चलते उनसे अजरबैजान के साथ रिश्ते मजबूत किये और उसे खासतौर पर युद्धक ड्रोन सप्लाई किया। जानकारों का कहना है कि, इसी ड्रोन के चलते ये जंग अर्मानिया के हाथ से निकल गया था। तुर्की अब उन टॉप तीन देशों में शामिल है जो इसे सबसे ज्यादा हथियार सप्लाई करते हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग काफी मजबूत होता जा रहा है।इसका अंदाजा इसी से लगा ले किं, तुर्की और अजरबैजान के बीच रक्षा सहयोग 75 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
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भारत ने उड़ाई पाकिस्तान औऱ तुर्की की नींद
अरजबैजान के साथ तुर्की को मात देने के लिए अर्मेनिया 2020 में भारत के पास आया। इसी दौरान भारत और अर्मेनिया के बीच स्वाती वेपन लोकेशन रडार के लिये डील हुई जो कि 40 मिलियन डॉलर की थी। इसके दो साल बाद ही भारत और अर्मेनिया ने 245 मिलियन डॉलर की एक डील साइन की। इस डील के तहत भारत ने मिसाइल और दूसरे उपकरण अर्मेनिया को देने का फैसला किया। ऐसे में अर्मनिया के साथ मजबूत होते भारत के रिश्ते से तुर्की संग पाकिस्तान की नींद उड़ने वाली है।
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