चीन (China) बस कैसे भी ताइवान (taiwan) पर कब्जा करने के लिए पूरी तरह से तैयार बैठा हुआ है। ये जंग अगर हुई तो ताइवान के बीच नहीं बल्कि चीन और अमेरिका बीच होगी। क्योंकि, अमेरिका का साफ कहना है कि अह ड्रैगन ने ताइवान पर हमला किया तो वो उसकी रक्षा करेगा। चीन पहले से ही कहते आ रहा है कि अमेरिका, ताइवान के मामलों पर बोलना बंद करे क्योंकि, वो उसका हिस्सा है और वो जब चाहेगा तब ताइवान को अपने में मिला लेगा। इधर ताइवान का कहना है कि उसकी अपनी आजादी है वो इसके लिए अंत तक लड़ेगा। चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए लिए ताइवान (taiwan) लगातार युद्धभ्यास कर रहा है। दरअसल चीन हाल के समय में ताइवान को कई बार जंग की धमकी दे चुका है। इसी बीच ताइवान को लगता है कि चीन की आर्मी कभी भी उन पर हमला कर सकती है। ताइवान के रक्षा मंत्री चियू कूओ चेंग (Chiu Kuo-cheng) ने कहा कि चीन की सेना अपने क्षेत्र के नजदीक स्थित ताइवानी इलाकों में ‘अचानक घुसपैठ’ कर सकती है और हमें इसके लिए अलर्ट रहना होगा। ताइवानी रक्षा मंत्री ने यह चेतावनी ऐसे समय पर दी है जब ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। चीन की सेना और नौसेना लगातार ताइवान को डराने में लगी हुई है।
चीन की सेना ने अब तक ताइवान के चारों ओर डराने वाली हरकतें की हैं, लेकिन उसने ताइवान के कब्जे वाले किसी इलाके में घुसपैठ नहीं किया है। हालांकि पिछले साल ताइवान के चीन से सटे एक टापू पर चीनी ड्रोन घुस आया था। ताइवान की संसद में दिए अपने बयान में रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन की सेना यह बहाना ढूंढ सकती है कि ताइवान के क्षेत्रीय हवाई और समुद्री इलाके में कैसे घुसा जाए। ताइवान इस समय अमेरिका के साथ बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है जिससे चीन बुरी तरह से भड़का हुआ है।
चीन ने ताइवान को दी चेतावनी
ताइवान शासित एक टापू चीन के तट से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर है और ताइवान को इसी को लेकर डर सता रहा है। ताइवानी रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं इसलिए इस साल विशेष रूप से यह बयान दे रहा हूं क्योंकि वे इस तरह की तैयारी कर रहे हैं।’ इसके जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि हम अपनी संप्रभुता की रक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के लिए जोरदार कदम उठाएंगे। ताइवान ने कहा है कि वह अपनी आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग करेगा और अगर चीन की सेनाएं उसके इलाके में घुसीं तो वह जवाबी हमला करेगा।
याद दिला दें, पिछले साल अगस्त में अमेरिकी संसद में निचले सदन की की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी। इस यात्रा से पहले चीन ने धमकी भी दी थी। लेकिन उसे दरकिनार करके पेलोसी ने यह यात्रा की थी। तब चीन ने ताइवान जलडमरूमध्य और ताइवान के जलक्षेत्र में कई युद्धपोत और इसके हवाई क्षेत्र के पास कई चीनी लड़ाकू विमान भेजे थे। चीन ने लंबी दूरी की मिसाइल भी दागी थी। तभी से तनाव बना हुआ है।
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