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Pakistan का कट्टर दुश्मन पहुंचा इंडिया की शरण में, कहा- कम से कम शुरू कर दे…

Pakistan का कट्टर दुश्मन पहुंचा इंडिया की शरण में

पाकिस्तान का इस वक्त कट्टर दुश्मन खुद उसका दोस्त तालिबान बन गया है। जब तालिबान वापसी कर रहा था तो पाकिस्तान ने इनकी जमकर मदद की। हथियार, गोला बारुद से लेकर पूरी तरह से आर्थिक मदद भी की। अफगानिस्तान में तालिबानियों ने जैसे ही कब्जा किया उस वक्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान पूरी दुनिया के सामने गला फाड़-फाड़ कर चिल्लाने लगे कि दुनिया तालिबान को मान्यता दे। तालिबान की मदद पाकिस्तान ऐसे ही नहीं कर रहा था। उसे लगा था कि वो अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल अब भारत में आतंक फैलाने के लिए करेगा। लेकिन हुआ ये कि ये दोनों ही एक दूसरे के प्यासे हो गए। पाकिस्तान की एक और बुरी नजर थी कि वो अफगानिस्तान सीमा पर बाढ़ का काम पूरा कर लेगा। इसकी के बाद दोनों के बीच भयानक रार शुरू हो गया। इस बीच तालिबान भारत के पास आया है और अपील की है।

दरअसल, अफगानिस्तान तालिबान सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहार बल्खी ने कहा है कि तालिबान के पास भारत के साथ खुले संचार चैनल हैं। विऑन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, बल्खी ने कहा है कि भारत काबुल में अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के मुताबिक कम से कम दूतावास के कांसुलर सेक्शन को खोल सकता है क्योंकि हम एक इंटर-कनेक्टेड दुनिया में रहते हैं। इसके साथ ही बल्खी ने कहा है कि हम भारत सहित सभी देशों के साथ पारस्परिक सम्मान और हितों के आधार पर सकारात्मक संबंध चाहते हैं। हम भारत द्वारा अफगान लोगों को प्रदान की गई मानवीय सहायता की सराहना करते हैं और इसे सद्भावना के रूप में देखते हैं। हम उन लोगों को हमेशा याद रखेंगे जिन्होंने हमारी जरूरत के समय अफगानिस्तान की मदद की। हमारे पास भारत के साथ खुले संचार चैनल हैं और कई मौकों पर हम भारतीय प्रतिनिधियों से मिल चुके हैं।

अब्दुल कहार बल्खी ने आगे कहा कि, हमने सभी देशों से दूतावासों को फिर से शुरू करने का आग्रह किया है ताकि आपसी हितों और चिंताओं को सीधे बेहतर तरीके से संबोधित किया जा सके। लेकिन भारत को अगर पूरी तरह से दूतावास को खोलने को लेकर आपत्ति है, तो वे कम से कम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के मुताबिक दूतावास के कांसुलर सेक्शन को खोलने पर विचार कर सकते हैं। दो देशों के बीच अच्छे संबंध होने का मतलब यह नहीं है कि कोई तीसरा देश एक ही समय में दोनों देशों के साथ सकारात्मक संबंध नहीं बना सकता है। अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को लेकर उन्होंने कहा है कि तालिबान राज में हिंदू और सिख समुदाय पिछले दो दशकों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं। हमने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की है जिसे हड़प लिया गया था।