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काबुल में रहीम उल्लाह की हत्या! हक्कानी नेटवर्क की आपसी रंजिश या तालिबान की अफगानिस्तान पर पकड़ ढीली – देखें रिपोर्ट

काबुल में हक्कानी की हत्या

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के टॉप कमाण्डरों में से एक और मिलिट्री कमीशन का पूर्व सदस्य रह चुका रहीमउल्लाह हक्कानी एक आत्मघाती हमले में मारा गया है। रहीमउल्लाह हक्कानी की हत्या के वक्त होम मिनिस्टर सिराजउद्दीन हक्कानी काबुल में ही मौजूद थे। रहीमउल्लाह हक्कानी की मौत से तालिबान में सन्नाटा है। रहीम उल्लाह की हत्या के लिए रेजिस्टेंट फोर्स या फिर आईएसआईएस पर शक जाहिर किया जा रहा है। कुछ लोगों का यह कहन है कि रहीम उल्लाह हक्कानी नेटवर्क के चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी के लिए खतरा बनता जा रहा था।

रहीम उल्लाह ने सिराजुद्दीन हक्कानी से अलग पाकिस्तान के पेशावर में अपना एक अलग मदरसा कायम किया था। रहीम उल्लाह अपने इसी मदरसा के लिए विदेशों से भरी चंदा उगाहता था। हालांकि यह भी कहा जाता है कि रहीमउल्लाह सिराजुद्दीक हक्कानी का उस्ताद था। लेकिन तालिबान के कुछ लोगों को शक था कि अल जवाहिरी की अमेरिका को मुखबिरी रहीमउल्लाह ने ही थी।  

रहीम उल्लाह हक्कानी देवबंदी विचारधारा का मुस्लिम उलेमा था, वो सलाफी मुसलमानों का कट्टर विरोधी था। सोशल मीडिया पर उसके लाखों की संख्या में फॉलोअर्स हैं। हदीस के सबसे बड़े जानकार रहीम उल्लाह हक्कानी को तालिबान सोशल मीडिया पर अपने प्रवक्ता के तौर पर पेश करता रहा है। ऐसा भी कहा जाता है कि तालिबान की आतंरिक कलह का नतीजा रहीम उल्लाह की हत्या है। हालांकि खुले तौर पर कोई भी कुछ नहीं कह रहा है, और दूसरी बात यह है कि आईएसआईएस या रेजिस्टेंट ग्रुप में से किसी ने भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

यह भी कहा जा रहा है कि रहीमुल्ला हक्कानी अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पहले पाकिस्तान फौज की सरपरस्ती में था। उस दौरान भी उसको को मारने के लिए हमले किए गए थे। यह तीसरा हमला था।  अक्टूबर 2020में भी रहीमुल्ला पर हमला किया गया थाजिसमें वो बाल-बाल बच गया था। इससे पहले 2013में पेशावर के रिंग रोड पर उसके काफिले पर बंदूकधारियों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी। उस समय सुरक्षा में चल रही पाकिस्तानी फौजी टुकड़ी ने उसकी जान बचाई।