अफगानिस्तान में कब्जा में आने के बाद से तालिबान लगातार दुनिया से गुहार लगा रहा है कि वो उसका समर्थन करें। लेकिन दुनिया के बड़े देश वेट एंड वॉच की स्ट्रेटजी अपनाए हुए हैं। और तालिबान की हर एक हरकतों पर नजर बनाए हुए हैं। अब तक तो तालिबान अपनी खुब मनमानी कर अफगान जनता पर कुछ जुल्म किया लेकिन अब लगता है उसकी अल्क ठीकाने आने लगी है। और महिलाओं के लिए एक कदम उठाया है।
इस वक्त तलाबिना की हालत खराब है, अमेरिका से लगातार गुहार लगा रहा है कि अफगानिस्तान के पौसों को अनफ्रीज करे लेकिन अमेरिका अब भी तालिबान पर नजर रख रहा है। इस बीच अब तालिबान ने नई चाल चलते हुए अफगानिस्तान में महिलाओं की जबरन शादी पर रोक लगा दी है। तालिबान ने कहा है कि, उसने महिलाओं की जबरन शादी पर प्रतिबंध लगा दिया है। तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंजादा ने इस फैसले की घोषणा की।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से देश में अंतरराष्ट्रीय मदद बहाल नहीं हुई है और अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है। देश में गरीबी बढ़ती जा रही है। वहीं, तालिबान द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया है कि, दोनों (महिला और पुरुष) बराबर होने चाहिए। कोई भी महिलाओं को जबरदस्ती या दबाव से शादी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। हालांकि, तालिबान के इस कदम के पीछे भी एक रहस्य छुपा है। दरअसल, विकसित राष्ट्रों से मान्यता हासिल करने और सहायता बहाल करने के लिए इन मानदंड़ों को पूरा किया जाना जरूरी है। गरीब, रूढ़िवादी देश में जबरन विवाह बहुत प्रचलित है क्योंकि आंतरिक रूप से विस्थापित लोग कम उम्र की अपनी बेटियों की शादी पैसे लेकर कर देते हैं। इस धन का उपयोग कर्ज चुकाने और परिवारों के भरण पोषण के लिए किया जाता है।
इसके साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान में एक विधवा को पति की मृत्यु के 17 सप्ताह बाद पुनर्विवाह करने की भी अनुमति दी है। तालिबान का कहना है कि, उसने अफगान अदालतों को महिलाओं विशेष रूप से विधवाओं के साथ उचित व्यवहार करने का आदेश दिया है। तालिबान का यह भी कहना है कि इसने अपने मंत्रियों से महिलाओं के बारे में पूरी आबादी में जागरूकता फैलाने को कहा है। हालांकि, अभ भी अफगानिस्तान में तालिबान ने सातवीं कक्षा से 12 कक्षा की लड़कियों को स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है।