अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता में लाने में पाकिस्तान का बहुत बड़ा हाथ रहा है। इमरान खान तो शुरुआत से ही तालिबानियों का गुणगान कर रहे हैं। उन्हें जब-जब मौका मिला तब-तब उन्होंने दुनिया के सामने अपने तालिबानी प्यार को जाहिर किया। पाकिस्तान और चीन ने तो शुरुआत से ही तालिबान को मान्यता दे रखी है लेकिन, अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए वो अब भी तड़प रहा है। तालिबान का क्रूर चेहरा समय-समय पर सामने आता रहता है ऐसे में उसे मान्यता देने से विश्व के बड़े देश हिचकिचा रहे हैं। हालांकि, तालिबान ने अब दावा किया है कि उसने इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर लिया है।
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के कार्यवाहक विदेश मामलों के मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने कहा कि इस्लामिक अमीरात समावेशी है और उसने सभी जरूरी चीजों को पूरा किया है। ऐसे में इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए। तालिबान को सत्ता में आए छह महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक किसी भी देश ने औपचारिक रूप से तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। तुर्की के टीआरटी वर्ल्ड न्यूज चैनल से बात करते हुए मुत्ताकी ने कहा, सरकार को मान्यता देने के लिए सीमा, लोग और सुरक्षा की जरूरत होती है। चूंकि हमारे पास ये सभी हैं, इसलिए हमने मान्यता प्राप्त करने की जरूरतों को पूरा किया है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ विश्लेषकों ने इस बीच कहा कि अंतरराष्ट्रीय मान्यता के अलावा तालिबान को देश के अंदर भी कदम उठाने चाहिए। इंटरनेशनल रिलेशन विश्लेषक वली फ्रोजान ने कहा, एक स्वतंत्र चुनाव के जरिए से देश के अंदर वैधता हासिल की जानी चाहिए, जिसमें प्रत्येक नागरिक अपनी सरकार चुनने के लिए वोट डालता है और लोग खुद को उस सरकार में देखते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक शहजाद मसूद ने कहा है कि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा UNAMA जनादेश को रिन्यू कराना खुद दिखाता है कि दुनिया अफगानिस्तान के साथ जुड़े रहना चाहती है। लेकिन मुझे उम्मीद है कि इस्लामिक अमीरात एक राष्ट्रीय सभा (जिगरा) आयोजित करेगा जिसमें सभी क्षेत्रों के प्रतिभागी हिस्सा लेंगे।