अफगानिस्तान की तालिबान सरकार में टांग अड़ाने और इलाके का गुण्डा बनने का इमरान खान का दांव उलटा पड़ गया है। तालिबान ने इमरान खान को ऐसा घुमा कर दिया है कि इमरान खान चोट दबा भी नहीं पाएंगे और आंसुओं से रो भी नहीं पाएंगे। दरअसल, ताजिकिस्तान में बिजनेस मीट के दौरान पाक पीएम इमरान खान ने कहा था कि वो अफगानिस्तान में इन्क्लूसिव सरकार के लिए तालिबान से बात कर रहे हैं। इमरान खान का ये बयान तालिबान को बेहद नागवार गुजरा है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि अफगानिस्तान में सरकार कैसी होगी या कैसी नहीं यह बात थोपने का अधिकार किसी को नहीं है। चाहे वो पाकिस्तान ही क्यों न हो। तालिबान ने साफ कहा है कि पड़ोसी देशों के सरवराओं (मुखिया) को अफगानिस्तान की सरकार पर बयान देते समय मर्यादा में रहना चाहिए।
तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान की घनघोर बइज्जती, ट्रक पर लगे झंड़े को जबरदस्ती हटाया। #Pakistan #Talibans #INHindi pic.twitter.com/jEU5NDiwjW
— इंडिया नैरेटिव (@NarrativeHindi) September 21, 2021
मुजाहिद ने कहा है किपाकिस्तान या किसी अन्य देश को इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान में 'समावेशी' सरकार स्थापित करने के लिए कहने का कोई अधिकार नहीं है।इससे पहले, तालिबान के एक अन्य नेता, मोहम्मद मोबीन ने भी व्यक्त किया था कि अफगानिस्तान किसी को भी देश में 'समावेशी सरकार' का आह्वान करने का अधिकार नहीं देता है। अफगानिस्तान के एरियाना टीवी पर एक डिबेट शो के दौरान उन्होंने कहा, "क्या समावेशी सरकार का मतलब सिस्टम में पड़ोसियों के अपने प्रतिनिधि और जासूस को शामिल करना है।?
जबीहउल्लाह मुजाहिद और मोहम्मद मोबीन का बयान ये संकेत देते हैं कि तालिबान समावेशी सरकार की मां मानने के मूड में नहीं है। तालिबान नहीं चाहता कि सरकार में बाहरी तत्वों का समावेश हो। क्यों कि इससे जासूसी का डर और सरकार पर अप्रत्यक्ष तौर पर दूसरे लोगों के हस्तक्षेप का डर है।