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Taliban के बयान से EU में फंस गया पाकिस्तान! GSP स्टेटस से धोना पड़ेगा हाथ, पाई-पाई के लिए हो जाएगा मोहताज

तालिबान हाथ काटने जौसी बर्बर सजा को लाएगा वापस

तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जा कारने के बाद से ही लगातार देश छोड़कर लोग जा रहे हैं। अफगानिस्तान में आते ही तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है, एक और तो तालिबान ढिंढोरा पीट रहा है कि वह बदल चुका है लेकिन असल में वो और क्रूर हो गया है। सोशल मीडिया पर आए दिन तालिबानिोयं के क्रूरता का चेहरा उजागर होता रहता है लेकिन अब तो तालिबान खुलेआम फरमान जारी कर रहा है कि वो ऐसी जसा लाएगी जिसकी सुनकर लोगों की रुहें भी कांप जाएंगी। इसके साथ ही तालिबान ने दूसरे देशों को दखल देने के लिए मना किया है।

तालिबान हाथ काटने जैसी बर्बर सजा को वापस लाएगा। तालिबान के संस्थापकों में से एक जनरल मुल्ला नुरुद्दीन तुराबी ने न्यूज एजेंसी एपी से बात करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में एक बार फिर फांसी और अंगों को काटने की सजा दी जाएगी, लेकिन यह संभव है कि ऐसी सजा सार्वजनिक स्थानों पर न दी जाए। इसके आगे तुराबी ने साफ तौर पर कहा कि, स्टेडियम में दंड देने को लेकर दुनिया ने हमारी आलोचना की है। हमने उनके नियमों और कानूनों के बारे में कुछ नहीं कहा है। ऐसे में कोई हमें यह नहीं बताए कि हमारे नियम क्या होने चाहिए। हम इस्लाम का पालन करेंगे और कुरान पर अपने कानून बनाएंगे।

ध्यान रहे दो दिन पहले ही यूरोपियन यूनियन ने लगभग सर्व सम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें कहा है कि अगर पाकिस्तान को जीएसपी का स्टेटस बरकरार रखना है तो संविधान की 295 सी में सुधार करना होगा। इतना ही नहीं पाकिस्तान यह भी  जिम्मेदारी है कि वो अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मानवाधिकारों का हनन न करे। लेकिन जिस तरह से जनरल तुराबी ने  बयान दिया है उससे तो यह तय है कि अफगानिस्तान में मध्य कालीन बर्बर शासन की वापसी हो गयी है और पाकिस्तान का जीएसपी स्टेटस भी जाने वाला है। 

तालिबान दुनिया के सामने यह कह रहा है कि वह पहले जैसा नहीं रहा है। लेकिन असल में यह है कि वह जस का तस है, उसकी विचारधारा में जरा भी बदलाव नहीं आया है। पिछले तालिबान शासन के दौरान हत्यारों को खुले मैदान में गोली मार दिया जाता था। चोरों का एक हाथ काट दिया जाता था और हाईवे पर डकैती करने वालों के एक हाथ और पैर काट दिए जाते थे।

तुराबी के बयानों से यह साफ नजर आ रहा है कि तालिबान वापस से वही पहले वाला ही नियम लाएगा। इसके साथ ही तुराबी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि, अफगानिस्तान के कानूनों की नींव कुरान होगी और फिर से वही सजा बहाल होगी। सुरक्षा के दृष्टिकोण से हाथ काटना बेहद जरूरी है, सार्वजनिक तौर पर दंड देने को लेकर हम बातचीत कर रहे हैं और इसे लेकर हम जल्द ही नई नीति विकसित कर लेंगे।

तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला नुरुद्दीन तुराबी नई तालिबान सरकार के तहत जेलों का प्रभारी है। इसके साथ ही वह उन तालिबान नेताओं में शामिल है जो संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में है। तालिबान शासन के दौरान, वह संगठन के सबसे क्रूर और समझौता न करने वालों में से एक था।