Taliban का पाकिस्तान के खिलाफ जंग का ऐलान, कई शहरों में गवर्नर भी तैनात, इस्लामाबाद की बाढ़ में डूबा इमरान खान का अमला

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तालिबान को पालना अब पाकिस्तान के लिए बड़ा संकट बन कर उभर रहा है। अफगानिस्तान में जैसे-जैसे तालिबान ताकतवर हो रहा है वैसे-वैसे टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) मजबूत होता जा रहा है। टीटीपी यानी पाकिस्तान तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान की फतह को पाकिस्तान का तालिबान तकसीम करता है और मुबारकबाद देता है। टीटीपी के सरवरा नूरवली महसूद ने एक विदेशी अंग्रेजी न्यूज चैनल से  कहा कि ट्राइबल इलाकों को अजाद कराने के लिए उनकी जंग पाकिस्तानी फौज से शुरू हो चुकी है।</p>
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ध्यान रहे, जिस दौरान अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी की बात चल रही थी उसी वक्त अलकायदा ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई और अलग-अलग बंट कर पाकिस्तान से लड़ रहे गुट जमातुल अहरार, हिजबुल अहरार, शहरयाह महसूद ग्रुप, अमजद फारूखी ग्रुप, लश्कर-ए-झांग्वी का उस्मान सैफुल्ला ग्रुप को टीटीपी में शामिल करवा दिया।</p>
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इन सभी गुटों के साथ आ जाने से टीटीपी की ताकत बेतहाशा बढ़ गई है। इतना ही नहीं टीटीपी के सरवरा नूर वली महसूद ने  उमर खालिद खुरासानी को पेशावर, शाहिद उमर को मातोड, मुफ्ती मनजारी को मालाकण्ड, अलीम फारूकी बन्नू और अबू यासिब को डेरा इस्माइल खां का गवर्नर अपॉइंट कर दिया है।</p>
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<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/TTP_Noor_wali_Mehsud.jpg" style="width: 730px; height: 481px;" /></p>
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नूर वली महसूद ने कहा है कि उनकी लड़ाई पाकिस्तान सरकार से है कि आम-आदमी से नहीं। इसलिए इन इलाकों में जो भी शख्स पाकिस्तान सरकार के नुमाइंदे हैं वो नौकरियों से  इस्तीफा दे दें और टीटीपी के साथ आ जाएं। क्यों कि अब इन इलाकों में टीटीपी की सरकार ने काम शुरु कर दिया है। वहीं दूसरी ओर इमरान खान की सरकार इस्लामाबाद बने भयंकर बाढ़ के हालात से ही नहीं निपट पा रही है। कहा जा रहा है 23 जुलाई 2011 में 620 एमएम बारिश हुई थी। तब भी इस्लामाबाद में इतने बुरे हालात नहीं हुए थे। इस बार तो महज 330 एमएम बारिश ही हुई है और शहर की सड़के दरिया बन गए। आर्मी को उतारना पड़ा फिर हालात काबू में नहीं है।  </p>
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बहरहाल, पाकिस्तान की मीडिया में खबरें है कि पीएम इमरान को एजेंसियों ने पहले ही आगाह कर दिया था। यह कहा गया था अलकायदा के साथ मिल कर टीटीपी पाकिस्तान में दहशतगर्दी फैला सकता है। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। यह भी शक जताया जा रहा है कि टीटीपी के साथ इमरान खान की रहम दिली इसलिए भी है क्यों कि ऑपरेशन रद्दुल फसाद के बाद टीटीपी ने इमरान खान को अपना मध्यस्थ बनाया था।</p>
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  इस सब के बावजूद  पाकिस्तान में हाल ही में हुए धमाकों के एक बार फिर भारत का नाम घसीटे जाने की कोशिशें हो रही हैं। पाकिस्तान की सरकार, पाकिस्तान की सिक्योरिटी एजेंसी और आईएसआई भी नूर वली महसूद का ठिकाना तो न ढूंढ सकीं मगर भारत का हाथ होने के सबूत उन्हें मिल गए हैं।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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