अंतर्राष्ट्रीय

दुनिया में China-Pakistan के JF-17 की थू-थू , फाइटर जेट के नाम पर बेच रहे कबाड़

पाकिस्तान और चीन (China-Pakistan) पूरी दुनिया को जेएफ-17 के नाम से कबाड़ बेच रहे हैं। आज जेएफ-17 का कोई भी ऐसा खरीदार नही हैं, जिसे शिकायत ना हो। मजाक में कहा जाता है कि जेएफ-17 विमान को चीन ने बनाया है और पााकिस्तान ने पेंट किया है। हालांकि, इसके निर्माण में चीन और पाकिस्तान दोनों अपना-अपना क्रेडिट लेते हैं। पाकिस्तान और चीन अब जेएफ-17 के ब्लॉक-3 वेरिएंट को भी विकसित कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि जेएफ-17 का ब्लॉक 3 वेरिएंट अमेरिका के एफ-16 के बराबर ताकतवर होगा।

JF-17 को बनाने के पीछे चीन की चाल

पाकिस्तान China-Pakistan) के डिफेंस एक्सपर्ट इस विमान की तुलना भारत के राफेल विमान से करने लगे थे। हालांकि, उनके दावे की पोल ग्रीस के एक मीडिया वेबसाइट पेन्टोपोस्टेग्मा ने 2021 में ही खोल दी थी। पाकिस्तान प्रचार करता है कि यह विमान अमेरिकी एफ-16 के मुकाबले का है, जो भारत के राफेल का भी मुकाबला कर सकता है। लेकिन, कथित रूप से इतना शक्तिशाली होने के बावजूद चीन ने अपनी वायु सेना में जेएफ-17 को शामिल नहीं किया है। जेएफ-17 को बनाने के पीछे चीन की चाल कुछ और ही है। चीन इस विमान को पाकिस्तान के जरिए गरीब देशों में निर्यात का सपना देख रहा है, क्योंकि दुनिया को उसके बनाए हथियारों पर कम ही भरोसा है।

चीन-पाक ने जेएफ-17 को क्यों बनाया

पाकिस्तान China-Pakistan) ने कारगिल युद्ध में अमेरिकी एफ-16 के इस्तेमाल पर लगी रोक से तंग आकर चीन के साथ एक लड़ाकू विमान के निर्माण का समझौता किया था। इसके बाद दोनों देशों ने साथ मिलकर एक सस्ते, हल्के और हर मौसम में उड़ान भरने लायक मल्टीरोल लड़ाकू विमान को विकसित किया। जेएफ-17 में चाइनीज एयरफ्रेम के साथ पश्चिमी देशों की एवियोनिक्स और रूसी क्लिमोव आरडी 93 इंजन लगा हुआ है। इसके लगभग 60 फीसदी पुर्जे विदेशों से आयात किए गए हैं, जिसे बाद में सिर्फ असेंबल किया गया है।पाकिस्तान एयरफोर्स ने भी यह पाया है कि आधुनिक हथियार प्रणालियों की तुलना में जेएफ -17 विमानों का संचालन और रखरखाव लागत बहुत अधिक है। जिससे इस विमान को लंबे समय तक उड़ने योग्य बनाने के लिए इसके ऑपरेशनल कॉस्ट को कम करने की जरूरत है।

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आईएन ब्यूरो

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