उइगर मुसलमानों के बाद अब तिब्बतियों पर बढ़ा ड्रैगन का जुर्म, हर एक तिब्बतियों के फोन पर कब्जा कर रहा China

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चाहे उइगर मुसलमानों की बात हो या फिर तिब्बत की चीन यहां के लोगों पर जुर्म ढाने से बाज नहीं आता। उइगर मुसलमानों की तो जिंदगी चीन ने बद्दतर बना रखी है। उइगर मुस्लिम चीन के सर्विलांस पर रहते हैं, उन्हें अपने इलाकों को छोड़ कर जाने की इजाजत तक नहीं है। यहां तक चीन उनके गुर्दे और शरीर के अन्य हिस्सों को निकालर मोटी कमाई करता है। अब तिब्बत के लोगों पर भी चीन का जुर्म शुरू हो गया है। तिब्बती लोगों पर नजर रखने के लिए चीन उनके फोन में जबरन स्पाइवेयर स्थापिक कर रहा है।</p>
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चीन ने निर्वासन में रह रहे तिब्बती लोगों पर नजर रखने के लिए इनके फोन को कब्जे में ले रहा है। चीन का मानना है कि जो लोग तिब्बत में रह रहे हैं वे उन लोगों के संपर्क में हैं जो निर्वासन में हैं। निर्वासन में रह रहे लोगों के संपर्कों वाले द्रगयाब काउंटी और चामडो में तिब्बतियों को कथित तौर पर उनके सेलफोन पर स्पाइवेयर स्थापित करने का आदेश दिया गया है ताकि उन पर कड़ी नजर रखी जा सके। जासूस स्पाइवेयर चीनी अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक नई निगरानी रणनीति है। धर्मशाला स्थित शोध समूह तिब्बत वॉच के अनुसार, तिब्बत में स्थानीय सूत्रों ने सेल फोन स्पाइवेयर के इस्तेमाल की पुष्टि की है जो निर्वासन में संपर्क करने वाले तिब्बतियों की सक्रिय रूप से निगरानी करता है।</p>
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तिब्बत वॉच के एक शोधकर्ता पेमा ग्याल ने न्यूज पोर्टल फायुल को बताया कि, चीन ने संबंधित व्यक्तियों के फोन में सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल को आक्रमक रूप से लागू किया है। तिब्बत में स्थानीय सूत्रों का कहना है कि, हमें बताया है कि अपने फोन पर वे जो भी कुछ करते हैं उस पर अधिकारी नजर रख रहे हैं। स्थिति इन क्षेत्रों में अत्यधिक संवेदनशील हो गई है। 2017 से 2021 तक, अब जो हुआ है वह यह है कि परिवारों को भी अपने परिजनों को संपर्क करना मुश्किल हो रहा है। अब सरकार को किसी पर भी संदेह है, जिसका बाहर कोई संपर्क है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जहां चीनी अधिकारी मठों में भिक्षुओं को चेतावनी देने के लिए पहुंचे थे कि अगर उनके पास ऐसी कोई जानकारी है जो उन्हें उतरे में डाल सकती है, तो उसे बता दें। यह सिर्फ एक उदाहरण है। निगरानी की सीमा तिब्बत के हर हिस्से तक पहुंच गई है। यह मेरी अपनी कल्पना से बाहर कुछ नहीं है, यह वास्तविक है।</p>
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इसके साथ ही शोधकर्ता ने इस बात का भी जिक्र किया कि, इस तरह से शासन के तहत तिब्बतियों को डर का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट के मताबिक, पलिस अधिकारियों द्वारा राजनीतिक रूस से संवेदनशील समझे जाने वाले और तिब्बत के बाहर रहने वाले तिब्बतियों से संपर्क करने वाले फोटो और वीडियो के साथ पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से दो से तीन महीने के लिए हिरासत में लिया गया था। उन्हें रिहाई पर भी निगरानी में रखा गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में एक अन्य घटना को लेकर बताया गया है कि, जनवरी में ड्रैगो काउंटी में तीन और तिब्बतियों को उनके फोन पर फोटो और वीडियो रखने के लिए हिरासत में लिया गया था। फायुल की रिपोर्ट के मुताबिक तीर्थयात्रा से लौटने पर उनके फोन की तलाशी के बाद दो पुरुषों, असंग और डोटा, और नॉर्ट्सो नाम की एक महिला को गिरफ्तार किया गया था।</p>
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आईएन ब्यूरो

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