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बाइडेन ने अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की परेशानी भरी वापसी के लिए ट्रंप प्रशासन को ठहराया ज़िम्मेदार

अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सैनिक

हम सबको याद है कि अफ़ग़ानिस्तान से किस तरह अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई थी। लोगों को ताइवान युद्ध की याद आ गयी थी। इस गंभीर मसले पर व्हाइट हाउस ने एक दस्तावेज़ जारी किया है।इस दस्तावेज़ के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2021 की गर्मियों में अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के लिए डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराया है।

12 पन्नों के इस दस्तावेज़ में बाइडेन प्रशासन ने कहा है, “अफ़ग़ानिस्तान से वापसी को कैसे पूरा किया जाए, इसके लिए राष्ट्रपति बाइडेन की पसंद उनके पूर्ववर्ती ट्रंप द्वारा तैयार की गयी स्थितियों से गंभीर रूप से बाधित थी।” राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि बाइडेन को अफ़ग़ानिस्तान में ट्रम्प से विरासत में मिले एक कमज़ोर ऑपरेशन ने अमेरिका की प्रतिक्रिया को सही मायने में पंगु बना दिया था।

किर्बी ने संवाददाताओं से कहा, “स्थिति में बदलाव मायने रखता है। यह पहला सबक है, जो यहां सीखा गया है। और आने वाले प्रशासन इसकी ज़्यादा क़ीमत नहीं बर्दाश्त कर सकता था।” बाइडेन के पास एक सख़्त विकल्प था: सभी अमेरिकी सेना को वापस ले लें या तालिबान के साथ लड़ाई फिर से शुरू करें। किर्बी ने कहा, “स्पष्ट रूप से हमें यह सही नहीं लगा।” लेकिन, उन्होंने इस सवाल को टाल दिया कि क्या बाइडेन को अपने उन निर्णयों और कार्यों को लेकर कोई पछतावा है, जो सैनिकों की वापसी को अंजाम दिया था।

यह दस्तावेज़ वर्ष 2017 को याद दिलाया कि जब ट्रम्प ने कार्यालय संभाला था, उस समय अफ़ग़ानिस्तान में 10,000 से अधिक सैनिक थे, लेकिन अठारह महीने बाद गतिरोध बनाए रखने के लिए 3,000 से अधिक अतिरिक्त सैनिकों को शामिल करने के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने किसी भी सहयोगी या साझेदार के साथ परामर्श किये बिना तालिबान के साथ सीधी बातचीत का आदेश दे दिया।

बयान में कहा गया है,”सितंबर 2019 में राष्ट्रपति ट्रम्प ने तालिबान को सार्वजनिक रूप से 9/11 की बरसी पर कैंप डेविड में आमंत्रित करने पर विचार करके उनका हौसला बढ़ाया था। फ़रवरी 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका और तालिबान एक समझौते पर पहुंच गए, जिसे दोहा समझौते के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत यू.एस. मई 2021 तक अफ़ग़ानिस्तान से सभी अमेरिकी सेनाओं को वापस लेने पर सहमत हो गया। बदले में तालिबान एक शांति प्रक्रिया में भाग लेने और अमेरिकी सैनिकों पर हमला करने और अफ़ग़ानिस्तान के प्रमुख शहरों को ख़तरे में डालने से बचने को लेकर सहमत हो गये थे, लेकिन ऐसा केवल तब तक होना था, जब तक संयुक्त राज्य अमेरिका सैनिकों की वापसी को लेकर समझौते की समय सीमा के प्रति प्रतिबद्ध रहा।”

इस बयान से पता चलता है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने अफ़ग़ान सरकार पर 5,000 तालिबान लड़ाकों को जेल से रिहा करने के लिए दबाव डाला था, जिसमें वरिष्ठ युद्ध कमांडर भी शामिल थे,लेकिन तालिबान द्वारा रखे जाने वाले एकमात्र अमेरिकी बंधक की रिहाई को सुरक्षित किए बिना यह दबाव डाला गया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा तैयार की गयी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान के अनुभव के परिणामस्वरूप सुरक्षा की स्थिति बिगड़ने पर निकासी को गति देने के लिए अमेरिकी नीति को समायोजित किया गया है।

इस आधिकारिक दस्तावेज़ के अनुसार, अपने पिछले 11 महीनों के कार्यालय में ट्रम्प ने अमेरिकी सैनिकों की एक श्रृंखला को कम करने का आदेश दे दिया था और जून 2020 तक उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 और सितंबर में 4,500 कर दी थी।

इस बयान में कहा गया है, “28 सितंबर, 2021 को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ़ स्टाफ़ मिले के अध्यक्ष ने गवाही दी थी कि 11 नवंबर को उन्हें एक गोपनीय हस्ताक्षरित आदेश मिला था, जिसमें अमेरिकी सेना को 15 जनवरी, 2021 तक अफ़ग़ानिस्तान से सभी बलों को वापस लेने का निर्देश दिया गया था।”

हालांकि, एक हफ़्ते बाद उस आदेश को रद्द कर दिया गया और उसी तारीख़ तक उसकी जगह 2,500 सैनिकों को कम करने आदेश दिया गया।

इस बयान से पता चलता है,”ट्रम्प प्रशासन से बाइडेन प्रशासन में संक्रमण के दौरान 2 निवर्तमान प्रशासनों ने अंतिम निकासी का संचालन करने या अमेरिकियों और अफ़ग़ान सहयोगियों को निकालने के लिए कोई योजना नहीं बनायी थी।सही मायने में राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यभार संभालने तक भी ऐसी कोई योजना नहीं थी। यहां तक कि पूरी तरह से निकासी पर सहमति के बाद सिर्फ़ तीन महीने ही हुए थे।”

बयान में कहा गया है, “परिणामस्वरूप, जब राष्ट्रपति बाइडेन ने 20 जनवरी, 2021 को पदभार संभाला, तो तालिबान सबसे मज़बूत सैन्य स्थिति में था, जो 2001 से देश के लगभग आधे हिस्से को नियंत्रित कर रहा था या लड़ रहा था।”

काबुल के हवाई अड्डे पर एक आत्मघाती बम विस्फ़ोट में 13 सेवा सदस्यों की मौत पर ध्यान दिलाते हुए कांग्रेस में रिपब्लिकन ने अफ़ग़ानिस्तान में उस वापसी की तीखी आलोचना की थी, जिसमें 100 से अधिक अफ़ग़ान भी मारे गये थे।

31 अगस्त को अमेरिका ने एक विशाल, लेकिन अराजक एयरलिफ्ट के बाद अफ़ग़ानिस्तान से अपनी सैन्य वापसी पूरी कर ली थी, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों की जान चली गयी थी और हज़ारों अफ़ग़ान और सैकड़ों सेना के सदस्य अब भी तालिबान शासन से बचने की कोशिश कर रहे हैं।