अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद से ही महिलाओं की स्थिति बद से बदतर हो गई है। ये वही तालिबान है जो यहां पर आते वक्त दुनिया के सामने जोर-जोर से चिल्ला कर कह रहा था कि, वो देशहित के लिए और महालिओं के तरक्की के लिए काम करेगे। ऐसा इसलिए ताकि तालिबानी सरकार को दुनिया के बड़े देशों से समर्थन मिल सके। लेकिन असल में तालिबान बदला नहीं, वो वही 20 साल पुराना वाला क्रूर और शरिया कानूनों को लागू करने वाला तालिबान है। क्योंकि, सोशल मीडिया के साथ ही कई ऐसी खबरें और रिपोर्टें आईं जिसमें बताया गया कि, महिलाओं की जिंदगी नर्क बनती जा रही है। तालिबान महिलाओं को लेकर कई पाबंदियां लगा चुका है, उनसे शिक्षा का अधिकार छीन लिया है। वो किसी जगह पर बिना पुरुष साथी के साथ नहीं जा सकती, न्यूज एंकरों को बुर्का पहनकर एंकरिंग करना है। यहां तक कि हर महिलाओं को बुर्का पहनना अनिवार्य है। इसके साथ कई और क्रूर कानून हैं जो तालिबान के असली चेहरे को उजागर करते हैं। अब तो एक नई रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह बताया गया है कि, अफगानिस्तान में हर दिन एक या दो महिला आत्महत्या कर रही हैं।
अफगान संसद की पूर्व डिप्टी स्पीकर ने दावा किया है कि, अफगानिस्तान में हर दिन एक या दो महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं। उन्होंने कहा है कि, अवसर की कमी और बीमार मानसिक स्वास्थ्य महिलाओं पर भारी पड़ रहा है। यह रहस्योद्घाटन जिनेवा में मानवाधिकार परिषद (HRC) में महिला अधिकारों के मुद्दे पर बहस के दौरान हुआ। दरअसल, तालिबान की ओर से सत्ता के में आने के बाद महिला अधिकारों की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एचआरसी ने बैठक की। अफगान संसद की पूर्व डिप्टी स्पीकर फोजिया कूफी ने कहा कि, हर दिन कम से कम एक या दो महिलाओं ने अवसर की कमी और मानसिक स्वास्थ्य के दबाव के कारण आत्महत्या कर ली। नौ साल से कम उम्र की लड़कियों को न केवल आर्थिक दबाव के कारण बेचा जा रहा है, बल्कि इसलिए भी कि उनके लिए कोई उम्मीद नहीं बची है। यह सामान्य नहीं है और अफगानिस्तान की महिलाएं इसके लायक नहीं हैं।
इसके साथ ही, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने अफगान महिलाओं की भारी बेरोजगारी, उनके कपड़े पहनने के तरीके पर लगाए गए प्रतिबंधों और बुनियादी सेवाओं तक उनकी पहुंच में रुकावट की निंदा की। तालिबान के अगस्त 2021 में सत्ता संभालने के बाद महिलाओं के स्वामित्व व्यवसायों को बंद कर दिया गया है। बाचेलेट ने कहा कि 1.2 मिलियन लड़कियों की अब माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच नहीं है।
उधर भारत ने भी अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकार को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। भारत की ओर से अफगानी महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया है। जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पुनीत अग्रवाल ने कहा, एक निकटवर्ती पड़ोसी और अफगानिस्तान के लंबे समय से साझेदार के रूप में देश में शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने की भारत की कोशिश है।