पुतिन के खिलाफ अमेरिकी साजिश फेल, NATO में फूट, जर्मनी बोला रूस से गैस-तेल न खरीदा तो यूरोप हो जाएगा बर्बाद

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रूस के खिलाफ रची गई अमेरिकी साजिश का अब पर्दाफाश होने लगा है। नाटो के सदस्य देशों में रूस के खिलाफ कार्रवाई पर विरोधाभास सामने आ चुके हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद यूरोपीय देश ही नहीं दक्षिण कोरिया और जापान भी रूस से तेल खरीद रहे हैं। नाटो के बड़े देश और अमेरिकी रक्षा सेवाओं से आच्छादित जर्मनी ने तो यहां तक कह दिया कि पुतिन ने सभी तरह के आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों की समीक्षा के बाद ही यूक्रेन के खिलाफ इतने लम्बे युद्ध की शुरुआत की है। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने तो यहां तक कह दिया है कि दुनिया को तीसरे युद्ध की विभाषिका से रोकने के लिए रूस से टकराव का रास्ता टालना चाहिए। स्कोल्ज के इस बयान का मतलब है कि अमेरिका की लाख कोशिशों के बावजूद नाटो रूस के खिलाफ मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए हैं।  </p>
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जर्मनी ने नाटो को रूस के साथ सीधे सैन्य टकरावसे बचने की सलाह दी है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने आशंका जताई कि अगर नाटो और रूस टकराते हैं तो इससे तीसरा विश्व युद्धहो सकता है। चांसलर स्कोल्ज ने रूस के साथ अपने तेल और गैस को तुरंत न रोकने के फैसले का बचाव भी किया। जर्मनी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है, यही कारण है कि नाटो का सदस्य होते हुए भी जर्मनी ने रूस के लेकर हमेशा से नरम रूख दिखाया है। हाल में अमेरिका और बाकी नाटो देशों के दबाव के कारण जर्मनी ने भी यूक्रेन को सीमित मात्रा में सैन्य साजो सामान भेजा है।</p>
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ओलाफ स्कोल्ज को यूक्रेन को भारी हथियार जैसे टैंक और होवित्जर न देने के लिए अपने देश और विदेशों में आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। जिसके बाद जर्मन सरकार ने कई बार यूक्रेन के पक्ष में बयान भी दिया है, लेकिन रूस के खिलाफ बाकी देशों जितने कड़े कदम नहीं उठाए हैं। चांसलर स्कोल्ज से पूछा गया कि उन्होंने क्यों सोचा कि यूक्रेन को टैंक देने से परमाणु युद्ध हो सकता है, इसपर उन्होंने कहा कि ऐसा कोई रूल बुक नहीं है जिसमें कहा गया हो कि जर्मनी को यूक्रेन में युद्ध का पक्ष माना जा सकता है।</p>
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जर्मन चांसलर ने कहा कि इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण है कि हम हर कदम पर बहुत सावधानी से विचार करें और एक दूसरे के साथ नजदीकी से काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि इस तनाव में नाटो को शामिल होने से बचाना मेरे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसलिए मैं चुनावों पर ध्यान केंद्रित नहीं करता या तीखी आलोचनाओं से खुद को परेशान नहीं होने देता। एक भी गलत कदम उठाया गया तो उसके परिणाम भयंकर होंगे।</p>
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जर्मन चांसलर के बयान से रूसी राष्ट्रपति पुतिन का हौंसला बढ़ा हुआ है और अमेरिका खिसियाआ हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कीव जाने का ऐलान भी किया था। लेकिन फिर उनके ऑफिस ने इस बात का खण्डन कर दिया। रूस के खिलाफ नाटो देशों मे बिखरी हुई राय से अमेरिका की छवि को जोर का झटका लगा है। वहीं रूस ने यूक्रेन में और अधिक आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। लेकिन पहेली यह भी है कि यूक्रेन के भीतर तक जासूसी रिपोर्ट रखने वाले पुतिन अभी तक जेलेंसकी को गिरफ्तार क्यों नहीं कर पा रहे हैं या जानबूझकर पुतिन ने यूक्रेन को खुला छोड़ रखा है। </p>
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स्कोल्ज ने यूक्रेन पर आक्रमण के जवाब में रूसी गैस के जर्मनी में आयात को तुरंत समाप्त नहीं करने के अपने फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि गैस पर प्रतिबंध लगाने से युद्ध खत्म हो जाएगा। अगर पुतिन को आर्थिक प्रतिबंधों का डर होता तो वे कभी भी इस भयंकर युद्ध को शुरू नहीं करते। दूसरा, आप लोग ऐसे सोचते हैं कि यह पैसे के बारे में था, लेकिन यह एक नाटकीय आर्थिक संकट और लाखों नौकरियों और कारखानों को नुकसान से बचाने के बारे में है। अगर ये बंद हो गए होते तो इनके दरवाजे फिर कभी नहीं खुल पाते।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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