अमेरिका और नाटो लाख धमकियों और कोशिशों के बाद भी रूस को यूक्रेन पर हमला करने से नहीं रोक सके। एक महीने से ज्यादा हो गया और यूक्रेन इतने दिनों में पूरी तरह बर्बाद हो गया है लेकिन, अकड़ अब भी वैसे की वैसी ही है। यूक्रेन की ये गलतफहमी तो दूर हो गई जो "वो जंग से पहले अमेरिका और नाटो के दम पर घमंड में था कि, अगर रूस ने हमला किया तो उसके खिलाफ सिर्फ यूक्रेन सैनिक नहीं बल्कि नाटो और अमेरिकी सैनिक भी लड़ेंगे। लेकिन, जब जंग की शुरुआत हुई तो अमेरिका-नाटो मैदाम में उतरने से ही मना कर दिए"। अब यूक्रेन नई आस लिए बैठा है कि उसे नाटो में शामिल किया जाएगा। इसपर राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने एक बयान दिया है जिसके बाद यह जंग और भी भीषण हो सकती है। क्योंकि, इस जंग की जड़ भी यही है। इस बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने नया दावा किया है कि, पुतिन की चाल से युक्रेन को बड़ा झटका लगने वाला है।
अमेरिका की खुफिया एजेंसी की ओर से दावा किया गया है कि, पुतिन नौ मई तक डोनाबास पर पूरी तरह से अपना कब्जा जमाना चाहते हैं। इस कारण वह अपना ध्यान सिर्फ डोनाबास में ही लगा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी सैनिक उन क्षेत्रों पर कब्जा नहीं कर सकते जहां पर इस समय वे जंग लड़ रहे हैं। वहीं, यूक्रेन के शहर ओडेसा पर रूस की ओर से जबरदस्त मिसाइल हमले किए जा रहे हैं। ओडसा के सिटी काउंसिल ने कहा कि, ओडेसा पर लांच की गई मिसाइलों का उद्देश्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाना था।
गौरतलब हो कि, जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में शामिल नहीं होने देना एक गलती है। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन नाटो के लिए फायदेमंद साबित होता। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, जेलेंस्की ने कहा कि नाटो के बारे में बात करना हमारे लिए मुश्किल है क्योंकि वो हमें स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। जेलेंस्की ने कहा कि मुझे लगता है कि यूक्रेन को शामिल नहीं करना नाटो गलती है, अगर हम शामिल होते तो संगठन को और अधिक मजबूत बनाते।